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Today I want to share information about some minerals good for are health.
कैल्शियम
परिचय-हडि्डयों और दांतों को बनाने और उनके रख-रखाव के लिए, पेशियों के सामान्य संकुचन के लिए, हृदय की गति को नियमन करने के लिए और रक्त का थक्का बनाने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम जीवन-शक्ति और सहनशीलता बढ़ाता है, कोलेस्ट्रॉल स्तरों को संतुलित करता है, स्नायुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और रजोधर्म विषयक दर्दों के लिए ठीक है। एन्जाइम की गतिविधि के लिए कैल्शियम की आवश्यकता है। हृदय-संवहनी के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम मैग्नेशियम के साथ काम करता है। रक्त के जमाव के द्वारा यह घावों को शीघ्र भरता है। कुछ विशेष कैंसर के विरुद्ध भी यह सहायक होता है। कैल्शियम उदासी, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और एलर्जी को कम करता है।
कैल्शियम की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं, 60 से अधिक उम्र के पुरुषों, 45 से अधिक उम्र की स्त्रियों, धूम्रपान करने वालों और अधिक शराब पीने वालों को अधिक होती है। बच्चों में सूखा रोग कैल्शियम की कमी का ही लक्षण है।
विटामिन `डी´ की विशेष रूप से आवश्यकता कैल्शियम के समावेशन के लिए होती है। विटामिन `सी´ भी कैल्शियम के समावेशन में सुधार लाता है। सम्पूरक के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट भोजन के साथ अधिक अच्छे ढंग से समावेशित होता है।
दूध और इसके उत्पाद, दालें, सोयाबीन, हरी पत्तीदार सब्जियां, नींबू जाति के फल, सार्डीन, मटर, फलियां, मूंगफली, वाटनट (सिंघाड़ा), सूर्यमुखी के बीज इस खनिज के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
यदि आहार में पर्याप्त कैल्शियम न हो तो विविध शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक कैल्शियम उस व्यक्ति की हडि्डयों से लिया जाता है।
कॉपर
परिचय-कॉपर कई एन्जाइमों में पाया जाता है। विष का प्रभाव कम करने और संक्रामक रोगों में इसका सेवन किया जाता है। कॉपर लेने से लौह, विटामिन-सी तथा जिंक को पचाने में मदद मिलती है। लाल रक्त कणिकाएं (रेड ब्लड सेल्स) कॉपर के बिना नहीं बन सकती। शरीर में इसकी कमी से व्यक्ति `एनीमिक´ (खून की कमी से ग्रस्त) हो सकता है। जैतून और गिरीदार फल में यह पाया जाता है।
इसे दो मिलीग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। हमारे शरीर को दूसरे माध्यमों से कॉपर मिलता रहता है जैसे तांबे के बर्तनों, पानी के पाइपों, दवाओं खाद्य-प्रसंस्करणों (फूड प्रोसेसिंग), सुंगंधों और फसलों पर छिड़की जानेवाली दवाओं आदि से।
क्रोमियम
परिचय-क्रोमियम उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखने में सहायता करता है और मधुमेह को रोकता है। यह पेशियों को रक्त से शर्करा लेने और चर्बीदार कोलेस्ट्रॉल संश्लेषण को नियंत्रित करने में भी सहायता करता है। यह रक्त शर्करा के स्तरों को समतल रखता है। शरीर में इसकी कमी से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जैसेकि मध्यम मधुमेह में होता है।
आयु के साथ शरीर में क्रोमियम की आपूर्तियां हो जाती हैं। शरीर में क्रोमियम का भण्डार कठोर व्यायाम, चोटों और शल्य-चिकित्सा से भी कम हो जाता है। कुछ अनुसंधानकर्त्ता विश्वास करते हैं कि पर्याप्त क्रोमियम धमनियों को कड़े होने से रोकने में मदद कर सकता है।
जस्ता
शरीर में जस्ते की कमी मद्यपान, आहार की प्रतिक्रिया, कम प्रोटीन के आहार, जुकाम, गर्भावस्था और रोग के कारण हो सकती है। जस्ते की कमी होने से स्वाद और भूख की कमी, घाव का देर से भरना, गंजापन, विकास रुकना, हृदय-रोग, मानसिक रोग और प्रजनन-सम्बंधी विकार हो जाते हैं। कुछ मध्य-पूर्व के देशों में बौनेपन का कारण आहार में जस्ते की कमी माना जाता है।
जस्ते के स्रोत- सभी अनाज, मलाई निकाला हुआ दूध, संसाधित पनीर, खमीर, गिरीदार फल, बीज, गेहूं के अंकुर, चोकर, बिना पॉलिश किया हुआ चावल, पालक, मटर, कॉटेज पनीर, समुद्र से प्राप्त होने वाला आहार, मुर्गे-अण्डे। सम्पूर्ण गेहूं के आटे के उत्पादों में सफेद आटे की अपेक्षा चार गुना अधिक जस्ता होता है।
तांबा
परिचय- तांबा लोहे के समावेशन में मदद करता है। यह उसी प्रकार लोहे के साथी के रूप में काम करता है जैसे पोटैशियम और सोडियम एक जोड़े की तरह काम करते हैं। तांबा लोहे को हीमोग्लोबिन में बदलने में मदद करता है। तांबा तंत्र में लचीलापन पैदा करता है। तांबे के स्तरों में असंतुलन समग्र कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देता है और एच. डी. एल. का अनुपात कम कर देता है।
तांबे की कमी से केन्द्रीय स्नायु-संस्थान में अव्यवस्थाएं, रक्तहीनता और गर्भावस्था की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। तांबे की अधिकता सेलेनियम के प्रभाव को अवरुद्ध कर सकती है जो कैंसर के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। फल, सूखी फलियां, गिरीदार फल, मुर्गी, शेल मछली, गहरे रंग के चाकलेट, जिगर, गुर्दे, खमीर, गेहूं अंकुरित, केले और शहद इस सूक्ष्म मात्रिक तत्व के स्रोत हैं।
पोटेशियम
परिचय-पोटेशियम मूल खनिज है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है। पोटेशियम हमेशा किसी एसिड के साथ पाया जाता है। खनिज की कमी वाली मिट्टी खनिज की कमी वाला आहार उत्पन्न करती है। इस प्रकार के आहार का अंतर्ग्रहण शरीर की कोशिकाओं से पोटेशियम लेने के लिए विवश करता है जिससे सम्पूर्ण शरीर-रसायन विक्षुब्ध हो जाता है। पोटेशियम की कमी विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में सूखा हुआ राख, कोयला या विशिष्ट प्रकार की मिट्टी भी खाने की इच्छा पैदा करता है।
पोटेशियम पेशियों, स्नायुओं की सामान्य शक्ति, हृदय की क्रिया और एन्जाइम प्रतिक्रयाओं के लिए आवश्यक है। यह शरीर के तरल संतुलन को नियमित करने में सहायक होता है। इसकी कमी से स्मरण-शक्ति का ह्रास पेशियों की कमजोरी, अनियमित हृदय-गति और चिड़चिड़ापन जैसे रोग हो सकते हैं। इसकी अधिकता से हृदय की अनियमितताएं हो सकती हैं।
पोटेशियम कोमल ऊतकों के लिये वही है जो कैल्शियम शरीर के कठोर ऊतकों के लिए है। यह कोशिकाओं के भीतर और बाहर के तरलों का विद्युत-अपघटनी संतुलन बनाये रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आयु के साथ पोटेशियम का अर्न्तग्रहण भी बढ़ना आवश्यक है। पोटेशियम की कमी मानसिक सतर्कता के अभाव, पेशियों की थकावट, विश्राम करने में कठिनाई, सर्दी-जुकाम, कब्ज, जी मिचलाना, त्वचा की खुजली और शरीर की मांस-पेशियों में ऐंठन के रूप में प्रतिबिम्बित होती है। सोडियम का बढ़ा हुआ अर्न्तग्रहण शरीर की कोशिकाओं में से पोटेशियम की हानि को बढ़ा देता है। अधिक पोटेशियम से रक्त-नलिकाओं की दीवारें कैल्शियम निक्षेप से मुक्त रखी जा सकती है।
विकसित देशों में सेब के आसव का सिरका पोटेशियम का एक उत्तम स्रोत है एक चम्मच सेब के आसव के सिरके को एक गिलास पानी में मिलाइए और इसकी धीरे-धीरे चुस्की लीजिए। यह शरीर की वसाओं को जलाने में मदद करता है। गायों पर किये गये प्रयोगों में सेब के आसव के सिरके से गायों में गठिया समाप्त हो गया और दूध का उत्पादन बढ़ गया।
पोटेशियम के महत्वपूर्ण स्रोत-
सूखा हुआ बिना मलाई के दूध का पाउडर, गेहूं के अंकुर, छुहारे, खमीर, आलू, मूंगफली, बन्दगोभी, मटर, केले, सूखे मेवे, नारंगी और अन्य फलों के रस, खरबूजे के बीज, मुर्गे, मछली और सबसे अधिक पैपरिका और सेब के आसव का सिरका।
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कैल्शियम
परिचय-हडि्डयों और दांतों को बनाने और उनके रख-रखाव के लिए, पेशियों के सामान्य संकुचन के लिए, हृदय की गति को नियमन करने के लिए और रक्त का थक्का बनाने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम जीवन-शक्ति और सहनशीलता बढ़ाता है, कोलेस्ट्रॉल स्तरों को संतुलित करता है, स्नायुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और रजोधर्म विषयक दर्दों के लिए ठीक है। एन्जाइम की गतिविधि के लिए कैल्शियम की आवश्यकता है। हृदय-संवहनी के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम मैग्नेशियम के साथ काम करता है। रक्त के जमाव के द्वारा यह घावों को शीघ्र भरता है। कुछ विशेष कैंसर के विरुद्ध भी यह सहायक होता है। कैल्शियम उदासी, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और एलर्जी को कम करता है।
कैल्शियम की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं, 60 से अधिक उम्र के पुरुषों, 45 से अधिक उम्र की स्त्रियों, धूम्रपान करने वालों और अधिक शराब पीने वालों को अधिक होती है। बच्चों में सूखा रोग कैल्शियम की कमी का ही लक्षण है।
विटामिन `डी´ की विशेष रूप से आवश्यकता कैल्शियम के समावेशन के लिए होती है। विटामिन `सी´ भी कैल्शियम के समावेशन में सुधार लाता है। सम्पूरक के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट भोजन के साथ अधिक अच्छे ढंग से समावेशित होता है।
दूध और इसके उत्पाद, दालें, सोयाबीन, हरी पत्तीदार सब्जियां, नींबू जाति के फल, सार्डीन, मटर, फलियां, मूंगफली, वाटनट (सिंघाड़ा), सूर्यमुखी के बीज इस खनिज के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
यदि आहार में पर्याप्त कैल्शियम न हो तो विविध शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक कैल्शियम उस व्यक्ति की हडि्डयों से लिया जाता है।
कॉपर
परिचय-कॉपर कई एन्जाइमों में पाया जाता है। विष का प्रभाव कम करने और संक्रामक रोगों में इसका सेवन किया जाता है। कॉपर लेने से लौह, विटामिन-सी तथा जिंक को पचाने में मदद मिलती है। लाल रक्त कणिकाएं (रेड ब्लड सेल्स) कॉपर के बिना नहीं बन सकती। शरीर में इसकी कमी से व्यक्ति `एनीमिक´ (खून की कमी से ग्रस्त) हो सकता है। जैतून और गिरीदार फल में यह पाया जाता है।
इसे दो मिलीग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। हमारे शरीर को दूसरे माध्यमों से कॉपर मिलता रहता है जैसे तांबे के बर्तनों, पानी के पाइपों, दवाओं खाद्य-प्रसंस्करणों (फूड प्रोसेसिंग), सुंगंधों और फसलों पर छिड़की जानेवाली दवाओं आदि से।
क्रोमियम
परिचय-क्रोमियम उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखने में सहायता करता है और मधुमेह को रोकता है। यह पेशियों को रक्त से शर्करा लेने और चर्बीदार कोलेस्ट्रॉल संश्लेषण को नियंत्रित करने में भी सहायता करता है। यह रक्त शर्करा के स्तरों को समतल रखता है। शरीर में इसकी कमी से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जैसेकि मध्यम मधुमेह में होता है।
आयु के साथ शरीर में क्रोमियम की आपूर्तियां हो जाती हैं। शरीर में क्रोमियम का भण्डार कठोर व्यायाम, चोटों और शल्य-चिकित्सा से भी कम हो जाता है। कुछ अनुसंधानकर्त्ता विश्वास करते हैं कि पर्याप्त क्रोमियम धमनियों को कड़े होने से रोकने में मदद कर सकता है।
जस्ता
शरीर में जस्ते की कमी मद्यपान, आहार की प्रतिक्रिया, कम प्रोटीन के आहार, जुकाम, गर्भावस्था और रोग के कारण हो सकती है। जस्ते की कमी होने से स्वाद और भूख की कमी, घाव का देर से भरना, गंजापन, विकास रुकना, हृदय-रोग, मानसिक रोग और प्रजनन-सम्बंधी विकार हो जाते हैं। कुछ मध्य-पूर्व के देशों में बौनेपन का कारण आहार में जस्ते की कमी माना जाता है।
जस्ते के स्रोत- सभी अनाज, मलाई निकाला हुआ दूध, संसाधित पनीर, खमीर, गिरीदार फल, बीज, गेहूं के अंकुर, चोकर, बिना पॉलिश किया हुआ चावल, पालक, मटर, कॉटेज पनीर, समुद्र से प्राप्त होने वाला आहार, मुर्गे-अण्डे। सम्पूर्ण गेहूं के आटे के उत्पादों में सफेद आटे की अपेक्षा चार गुना अधिक जस्ता होता है।
तांबा
परिचय- तांबा लोहे के समावेशन में मदद करता है। यह उसी प्रकार लोहे के साथी के रूप में काम करता है जैसे पोटैशियम और सोडियम एक जोड़े की तरह काम करते हैं। तांबा लोहे को हीमोग्लोबिन में बदलने में मदद करता है। तांबा तंत्र में लचीलापन पैदा करता है। तांबे के स्तरों में असंतुलन समग्र कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देता है और एच. डी. एल. का अनुपात कम कर देता है।
तांबे की कमी से केन्द्रीय स्नायु-संस्थान में अव्यवस्थाएं, रक्तहीनता और गर्भावस्था की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। तांबे की अधिकता सेलेनियम के प्रभाव को अवरुद्ध कर सकती है जो कैंसर के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। फल, सूखी फलियां, गिरीदार फल, मुर्गी, शेल मछली, गहरे रंग के चाकलेट, जिगर, गुर्दे, खमीर, गेहूं अंकुरित, केले और शहद इस सूक्ष्म मात्रिक तत्व के स्रोत हैं।
पोटेशियम
परिचय-पोटेशियम मूल खनिज है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है। पोटेशियम हमेशा किसी एसिड के साथ पाया जाता है। खनिज की कमी वाली मिट्टी खनिज की कमी वाला आहार उत्पन्न करती है। इस प्रकार के आहार का अंतर्ग्रहण शरीर की कोशिकाओं से पोटेशियम लेने के लिए विवश करता है जिससे सम्पूर्ण शरीर-रसायन विक्षुब्ध हो जाता है। पोटेशियम की कमी विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में सूखा हुआ राख, कोयला या विशिष्ट प्रकार की मिट्टी भी खाने की इच्छा पैदा करता है।
पोटेशियम पेशियों, स्नायुओं की सामान्य शक्ति, हृदय की क्रिया और एन्जाइम प्रतिक्रयाओं के लिए आवश्यक है। यह शरीर के तरल संतुलन को नियमित करने में सहायक होता है। इसकी कमी से स्मरण-शक्ति का ह्रास पेशियों की कमजोरी, अनियमित हृदय-गति और चिड़चिड़ापन जैसे रोग हो सकते हैं। इसकी अधिकता से हृदय की अनियमितताएं हो सकती हैं।
पोटेशियम कोमल ऊतकों के लिये वही है जो कैल्शियम शरीर के कठोर ऊतकों के लिए है। यह कोशिकाओं के भीतर और बाहर के तरलों का विद्युत-अपघटनी संतुलन बनाये रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आयु के साथ पोटेशियम का अर्न्तग्रहण भी बढ़ना आवश्यक है। पोटेशियम की कमी मानसिक सतर्कता के अभाव, पेशियों की थकावट, विश्राम करने में कठिनाई, सर्दी-जुकाम, कब्ज, जी मिचलाना, त्वचा की खुजली और शरीर की मांस-पेशियों में ऐंठन के रूप में प्रतिबिम्बित होती है। सोडियम का बढ़ा हुआ अर्न्तग्रहण शरीर की कोशिकाओं में से पोटेशियम की हानि को बढ़ा देता है। अधिक पोटेशियम से रक्त-नलिकाओं की दीवारें कैल्शियम निक्षेप से मुक्त रखी जा सकती है।
विकसित देशों में सेब के आसव का सिरका पोटेशियम का एक उत्तम स्रोत है एक चम्मच सेब के आसव के सिरके को एक गिलास पानी में मिलाइए और इसकी धीरे-धीरे चुस्की लीजिए। यह शरीर की वसाओं को जलाने में मदद करता है। गायों पर किये गये प्रयोगों में सेब के आसव के सिरके से गायों में गठिया समाप्त हो गया और दूध का उत्पादन बढ़ गया।
पोटेशियम के महत्वपूर्ण स्रोत-
सूखा हुआ बिना मलाई के दूध का पाउडर, गेहूं के अंकुर, छुहारे, खमीर, आलू, मूंगफली, बन्दगोभी, मटर, केले, सूखे मेवे, नारंगी और अन्य फलों के रस, खरबूजे के बीज, मुर्गे, मछली और सबसे अधिक पैपरिका और सेब के आसव का सिरका।