Benefits of food, fruits & spices also

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                       जौ के फायदे

प्राचीन काल से जौ का उपयोग होता चला आ रहा है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों का आहार मुख्यतः जौ थे। वेदों ने भी यज्ञ की आहुति के रूप में जौ को स्वीकार किया है। गुणवत्ता की दृष्टि से गेहूँ की अपेक्षा जौ हलका धान्य है। उत्तर प्रदेश में गर्मी की ऋतु में भूख-प्यास शांत करने के लिए सत्तू का उपयोग अधिक होता है। जौ को भूनकर, पीसकर, उसके आटे में थोड़ा सेंधा नमक और पानी मिलाकर सत्तू बनाया जाता है। कई लोग नमक की जगह गुड़ भी डालते हैं। सत्तू में घी और चीनी मिलाकर भी खाया जाता है।



जौ का सत्तू ठंडा, अग्निप्रदीपक, हलका, कब्ज दूर करने वाला, कफ एवं पित्त को हरने वाला, रूक्षता और मल को दूर करने वाला है। गर्मी से तपे हुए एवं कसरत से थके हुए लोगों के लिए सत्तू पीना हितकर है। मधुमेह के रोगी को जौ का आटा अधिक अनुकूल रहता है। इसके सेवन से शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ती नहीं है। जिसकी चरबी बढ़ गयी हो वह अगर गेहूँ और चावल छोड़कर जौ की रोटी एवं बथुए की या मेथी की भाजी तथा साथ में छाछ का सेवन करे तो धीरे-धीरे चरबी की मात्रा कम हो जाती है। जौ मूत्रल (मूत्र लाने वाला पदार्थ) हैं अतः इन्हें खाने से मूत्र खुलकर आता है।
जौ को कूटकर, ऊपर के मोटे छिलके निकालकर उसको चार गुने पानी में उबालकर तीन चार उफान आने के बाद उतार लो। एक घंटे तक ढककर रख दो। फिर पानी छानकर अलग करो। इसको बार्ली वाटर कहते हैं। बार्ली वाटर पीने से प्यास, उलटी, अतिसार, मूत्रकृच्छ, पेशाब का न आना या रुक-रुककर आना, मूत्रदाह, वृक्कशूल, मूत्राशयशूल आदि में लाभ होता है।

औषधि-प्रयोगः

धातुपुष्टिः एक सेर जौ का आटा, एक सेर ताजा घी और एक सेर मिश्री को कूटकर कलईयुक्त बर्तन में गर्म करके, उसमें 10-12 ग्राम काली मिर्च एवं 25 ग्राम इलायची के दानों का चूर्ण मिलाकर पूर्णिमा की रात्रि में छत पर ओस में रख दो। उसमें से हररोज सुबह 60-60 ग्राम लेकर खाने से धातुपुष्टि होती है।
गर्भपातः जौ के आटे को एवं मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है।



                            गिलोय



गिलोय पान के पत्ते कितरह की एक त्रिदोष नाशक श्रेष्ट बहुवर्षिय औषधिये बेल होती है। अमृत केगुणों वाली गिलोय की बेल लगभाग भारत वर्ष के हर गाँव शहर बाग़ बगीचे में औरवन उपवन में बहुतायत से पायी जाती है यह मैदानों, सड़कों के किनारे, जंगल, पार्क, बाग-बगीचों, पेड़ों-झाड़ियों और दीवारों पर लिपटी हुई दिखाई देजाती है। नीम पर चढ़ी गिलोय में सब से अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं, नीम परचढी हुई गिलोय नीम का गुण अवशोषित कर लेती है। इसकी पत्तियों मेंकैल्शियम, प्रोटीन, फासफोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। यह वात, कफऔर पित्त का शमन करती है। गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।गिलोय एक श्रेष्ट एंटीबायटिक एंटी वायरल और एंटीएजिड भी होती है। यदि गिलोयको घी के साथ दिया जाए तो इसका विशेष लाभ होता है, शहद के साथ प्रयोग सेकफ की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। प्रमेह के रोगियों को भी यह स्वस्थकरने में सहायक है। ज्वर के बाद इसका उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है।यह शरीर के त्रिदोषों (कफ ,वात और पित्) को संतुलित करती है और शरीर काकायाकल्प करने की क्षमता रखती है। गिलोय का उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातू विकार, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, चर्म रोग, झाइयां, झुर्रियां, कमजोरी, गले के संक्रमण, खाँसी, छींक, विषम ज्वर नाशक, सुअरफ्लू, बर्ड फ्लू, टाइफायड, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, पेट कृमि, पेट के रोग, सीने में जकड़न, शरीर का टूटना या दर्द, जोडों में दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदय दौर्बल्य, क्षय (टीबी), लीवर, किडनी, मूत्र रोग, मधुमेह, रक्तशोधक, रोग पतिरोधक, गैस, बुढापा रोकने वाली, खांसी मिटानेवाली, भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है। गिलोयभूख बढ़ाती है, शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। अमृता एक बहुतअच्छी उपयोगी मूत्रवर्धक एजेंट है जो कि गुर्दे की पथरी को दूर करने मेंमदद करता है और रक्त से रक्त यूरिया कम करता है। गिलोय रक्त शोधन करकेशारीरिक दुर्बलता को भी दूर करती है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्टकरता है। ह्रदय को मजबूत करती है। इसे चूर्ण, छाल, रस और काढ़े के रूप मेंइस्तेमाल किया जाता है और इसके तने को कच्चा भी चबाया जा सकता है।

गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग नाशक ,शोधनाशक औरलीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्रकरती है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।
गिलोय के 6″ तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला लेइसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये। और इसकेसाथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवनकरते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती। और इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट कीमात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोईइलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाणहोता है।
गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने कालक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होताहै ।
गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस कीएक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा।
गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है।
क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बना कर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा।
एक चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बिमारियों में सुधार आता है और कब्ज दूर होती है।

गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है। औरगिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता  है।
प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री केसाथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है, गिलोय का सेवन ज्वर के बाद टॉनिकका काम करता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में खूनकी कमी (एनीमिया) को दूर करता है।
फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें। इसतेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होतीहै।
सुबह शाम गिलोय का दो तीन टेबल स्पून शर्बत पानी में मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है।
गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत होता है, उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है, गिलोय याददाश्त को भी बढाती है।
गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें।प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करे इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जातीहै।
मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।
गिलोय, धनिया, नीम की छाल, पद्याख और लाल चंदन इन सब को समान मात्रामें मिलाकर काढ़ा बना लें। इस को सुबह शाम सेवन करने से सब प्रकार का ज्वरठीक होता है।
गिलोय, पीपल की जड़, नीम की छाल, सफेद चंदन, पीपल, बड़ी हरड़, लौंग, सौंफ, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्णके एक चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्चे को पानी के साथ सेवन करनेसे ज्वर में लाभ मिलता है।
गिलोय, सोंठ, धनियां, चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकरचूर्ण बना कर रोजाना दिन में तीन बार एक चम्मच भर लेने से बुखार में आराममिलता है।
गिलोय, कटेरी, सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पीने से वात के ज्वर (बुखार) में लाभ पहुंचाता है।
गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है। औरगिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें इससे बारम्बार होनेवाला बुखार ठीक होता है।गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकरलेने से जीर्ण-ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है।
गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकरकाढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो जाता है।
गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी सेसेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है। गिलोय के रस का सेवन करने से दिलकी कमजोरी दूर होती है और दिल के रोग ठीक होते हैं।
गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कमहोता है और गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिला कर काढ़ा बनाइये और इसमेंशिलाजीत मिलाकर और पकाइए इस का नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।
गिलोय और नागरमोथा, हरड को सम मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना कर चूर्ण शहद के साथ दिन में 2 – 3 बार सेवन करने से मोटापा घटने लगता है।
बराबर मात्रा में गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनालें। इसका एक चम्मच चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ सेवन करने सेसंभोग शक्ति मजबूत होती है।
अलसी और वशंलोचन समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, और इसे गिलोय केरस तथा शहद के साथ हफ्ते – दस दिन तक सेवन करे इससे वीर्य गाढ़ा हो जाताहै।
लगभग 10 ग्राम गिलोय के रस में शहद और सेंधानमक (एक-एक ग्राम) मिलाकर, इसे खूब उबाले  फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाएं इससे नेत्र विकार ठीक होजाते हैं।
गिलोय का रस आंवले के रस के साथ लेने से नेत्र रोगों में आराम मिलता है।
गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसमें पीपल का चूर्णऔर शहद मिलकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के रोग दूर हो जाते हैं औरआँखों की ज्योति बढ़ जाती हैं।
गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाइए औरसुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजलीसे छुटकारा मिलता है।
गिलोय  के साथ अरण्डी के तेल का उपयोग करने से पेट की गैस ठीक होती है।
श्वेत प्रदर के लिए गिलोय तथा शतावरी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होताहै।गिलोय के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से प्रमेह के रोग में लाभमिलता है।
गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पीने से गर्मी के कारणसे आ रही उल्टी रूक जाती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर दिन में दो तीनबार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी बंद हो जाती है।
6 इंच गिलोय का तना लेकर कुट कर काढ़ा बनाकर इसमे काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पीने से साधारण जुकाम ठीक होगा।
पित्त ज्वर के लिए गिलोय, धनियां, नीम की छाल, चंदन, कुटकी क्वाथ का सेवन लाभकारी है, यह कफ के लिए भी फायदेमंद है।
नजला, जुकाम खांसी, बुखार के लिए गिलोय के पत्तों का रस शहद मे मिलाकर दो तीन बार सेवन करने से लाभ होगा।
1 लीटर उबलते हुये पानी मे एक कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल काचूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें। इसका एक कप प्रतिदिन दिन में तीन बारसेवन करें इससे खून साफ होता हैं और कोढ़ ठीक होने लगता है।
गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार प्रसूता स्त्री को पिलाने सेस्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है और बच्चे को स्वस्थ दूधमिलता है।
एक टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है।गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभमिलता है खून साफ होता है और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
गिलोय का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है।
गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है।
या गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है।
गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभहोता है।गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाइए एक-डेढ़ माह बादअसर दिखाई देने लगेगा ।
गिलोय का एक चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है। गिलोय केकाढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में 2 बारडालने से कान का मैल निकल जाता है। और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुनाकरके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
गिलोय का रस पीने से या गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदररोग खत्म हो जाता है। या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट लें फिर एक गिलासपानी में डालकर इसे पकाएं जब काढ़ा आधा रह जाये  इसे सुबह-शाम पीयें प्रदररोग ठीक हो जाता है।
गिलोय के रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्तासूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चे का सूखिया रोग जल्दठीक होगा
मात्रा : गिलोय को चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत् के रूप में 2 ग्राम तक क्वाथ के रूप में 50 से 100 मि. ली.कीमात्रा लाभकारी व संतुलित होती है।



                                    आलू



आलू सब्जियों का राजा माना जाता है क्योंकि दुनिया भर में सब्जियों के रूप में जितना आलू का उपयोग होता है, उतना शायद ही अन्य किसी सब्जी का होता होगा। आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन “बी” तथा फॉस्फोरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पाती। इसलिए आलू खाकर लम्बी आयु प्राप्त की जा सकती है।

आलू को अनाज के पूरक आहार का स्थान प्राप्त है। सभी प्रकार के आलू शीतल, मलरोधक, मधुर, भारी, मल तथा मूत्र को उत्पन्न करने वाले, मुश्किल से पचने वाले और रक्तपित्त को मिटाने वाले हैं। यह कफ और वायु करने वाले, बलप्रद, वीर्यवर्धक और अल्पमात्रा में पाचनशक्तिवर्धक भी हैं। अधिक परिश्रम के कारण उत्पन्न निर्बलता, रक्तपित्त से पीड़ित, शराबी और तेज जठराग्नि वाले लोगों के लिए आलू अत्यंत ही पोषक है।
विशेष

आलू यदि नरम हो अथवा उसके ऊपर दुर्गन्धयुक्त पानी आ गया हो तो उसका उपयोग न करें। अपच, गैस या मधुमेह से पीड़ित रोगियों को आलू का सेवन लाभदायक नहीं है। अग्निमान्द्य (अपच), अफारा, वात प्रकोप, बुखार, मल का रुकना, खुजली, त्वचा रोग, खून की खराबी, अतिसार (दस्त) इन रोगों में पीड़ित लोगों को आलू का कम सेवन करना चाहिए।

वैज्ञानिक मतानुसार -आलू के छिलके निकाल देने पर उसके साथ कुछ पोषक तत्व भी चले जाते हैं। आलू को उबालने पर बचे हुए पानी में भी प्रजीवक तत्व (विटामिन) रहते हैं। अत: उस पानी को फेंक देने के बजाए साग-सब्जी या दाल में मिलाकर खाना चाहिए।

यूनानी मतानुसार-आलू शीतल (ठंडी), वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला), पाचनयुक्त और उदर-वातवर्द्धक है।

आलू में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फॉस्फोरस, पोटैशियम, गन्धक, तांबा और लोहा अधिक मात्रा में है। इसमें विटामिन “ए” और “सी” भी थोड़ी मात्रा में होता है।
विभिन्न रोगों में आलू से उपचार

बेरी-बेरी, रक्तपित्त, त्वचा की झुर्रियां, आंखों का जाला एवं फूला, मोटापा, सूजन, उच्च रक्तचाप (हाईब्लड प्रेशर), अम्लता (एसीडिटी)
गुर्दे की पथरी (रीनल स्टोन), त्वचा का सौंदर्य, हृदय की जलन, गठिया या जोड़ों का दर्द, चोट लगने पर, जलने पर, दाद के रोग में.



                       बड़ी इलायची



संस्कृत में नाम : एला, स्थूल, बहुला
हिन्दी में नाम : बड़ी इलायची लाल इलायची
इंग्लिश में नाम : लार्ज कारडेमम
परिचय

इलायची अत्यंत सुगन्धित होने के कारण मुंह की बदबू को दूर करने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। इसको पान में रखकर खाते हैं। सुगन्ध के लिए इसे शर्बतों और मिठाइयों में मिलाते हैं। मसालों तथा औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इलायची दो प्रकार की होती है। छोटी और बड़ी। छोटी इलायची मालाबार और गुजरात में अधिक पैदा होती है, और बड़ी इलायची उत्तर प्रदेश व उत्तरांचल के पहाड़ी क्षेत्रों तथा नेपाल में उत्पन्न होती है। दोनों प्रकार की इलायची के गुण समान होते हैं। छोटी इलायची अधिक सुगन्ध वाली होती है।
रंग

यह भूरा, कालापन और हल्का लाल रंग का होता है।

स्वाद

इसका स्वाद चरपरा (तीखा) होता है।

स्वरूप

इलायची का पेड़ अदरक के पेड़ के जैसा होता है। इसके फल सफेद और लाल रंग के होते हैं। इसके बीज काले होते हैं।

स्वभाव

आयुर्वेद के अनुसार इसकी प्रकृति शीतल है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार यह गर्म और खुश्क होती है।

हानिकारक

बड़ी इलायची को अधिक मात्रा में सेवन करने से आंतों को नुकसान हो सकता है।

दोषों को दूर करना वाला

बड़ी इलायची के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए कतीरा का उपयोग किया जाता है।

मात्रा

इसे 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए।

गुण

बड़ी इलायची पाचन शक्ति को बढ़ाती है, भूख को बढ़ाती है, दस्त और जी मिचलाने को रोकती है। इसके दाने मसूढ़ों को स्वस्थ व मजबूत बनाते हैं।

विभिन्न रोगों का बड़ी इलायची से उपचार

1.    सिर दर्द :
2.    पेट दर्द के लिए :
3.    खांसी, दमा, हिचकी :
4.    मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट) :
5.    पथरी :
6.    रक्तपित्त :
7.    नेवले का विष :
8.    शक्ति एवं रोशनी वर्द्धक :
9.    घबराहट व जी मिचलाना :
10.    वमन (उल्टी) :
11.    हृदय रोग :
12.    धातु की पुष्टि :
13.    धातु की वृद्धि :
14.    शीघ्रपतन :
15.    पेशाब में धातु का जाना :
16.    पेशाब का खुलकर आना :
17.    सूखी खांसी :
18.    कफजन्य खांसी :
19.    कफ :
20.    ज्वर और जीर्ण ज्वर :
21.    अफारा :
22.    सभी प्रकार के दर्द :
23.    कफजन्य हृदय रोग :
24.    वातनाड़ी दर्द :
25.    खूनी बवासीर :
26.    मुंह का रोग :
27.    पित्ताशय की पथरी :
28.    श्वेत प्रदर :



                           टमाटर के फायदे

टमाटर को ज्यादतर मिक्स करके या फिर सलाद के साथ खाया जाता है। लगभग हर सब्जी को बनाते वक्त टमाटर का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, टमाटर का सूप, जूस और चटनी भी बनाकर खाया जाता है। टमाटर में विटामिन सी, लाइकोपीन, विटामिन, पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। टमाटर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता होती है। टमाटर खाकर वजन को आसानी से कम किया जा सकता है। टमाटर की खूबी है कि गर्म करने के बाद भी इसके विटामिन समाप्त नहीं होते हैं। आइए हम आपको टमाटर के गणों के बारे में बताते हैं।


टमाटर के गुण –

सुबह-सुबह  बिना कुल्ला किए पका टमाटर खाना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।
बच्चों को सूखा रोग होने पर आधा गिलास टमाटर के रस का सेवन कराने से बच्चे का सूखा रोग ठीक हो जाता है।
बच्चों के विकास के लिए टमाटर बहुत फायदेमंद होता है। दो या तीन पके हुए टमाटरों का नियमित सेवन करने से बच्चों का विकास शीघ्र होता है।
वजन घटाने के लिए टमाटर बहुत काम का होता है। मोटापा कम करने के लिए सुबह-शाम एक गिलास टमाटर का रस पीना फायदेमंद होता है।
यदि गठिया रोग है तो एक गिलास टमाटर के रस की सोंठ तैयार करें व इसमें एक चम्मच अजवायन का चूर्ण सुबह-शाम पीजिए, गठिया रोग में फायदा होगा
गर्भवती महिलाओं के लिए टमाटर बहुत फायदेमंद होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सुबह एक गिलास टमाटर के रस का सेवन करना चाहिए।
टमाटर पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। टमाटर के नियमित सेवन से पेट साफ रहता है।
कफ होने पर टमाटर का सेवन अत्यंत लाभदायक है।
पेट में कीड़े होने पर सुबह खाली पेट टमाटर में पिसी हुई कालीमिर्च लगाकर खाने से फायदा होता है।
भोजन करने से पहले दो या तीन पके टमाटरों को काटकर उसमें पिसी हुई कालीमिर्च, सेंधा नमक एवं हरा धनिया मिलाकर खाएं। इससे चेहरे पर लाली आती है।
टमाटर के गूदे में कच्चा दूध व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर चमक आती है।
टमाटर के नियमित सेवन से अन्य रोग जैसे डायबिटीज, आंखों व पेशाब संबंधी रोगों, पुरानी कब्ज व चमड़ी के रोगों में फायदा होता है।
टमाटर का सेवन करने से नुकसान भी होता है। अम्ल पित्त, सूजन और पथरी के मरीजों को टमाटर नहीं खाना चाहिए। आंतों की बीमारी होने पर भी टमाटर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मांस पेशियों में दर्द या शरीर में सूजन हो तो टमाटर नहीं खाना चाहिए।


                        प्याज के फायदे

प्याज के फायदे बहुत होते हैं और यह बहुत ही शानदार घरेलू नुस्खा है। प्याज खाने को स्वादिष्ट बनाने का काम तो करता ही है साथ ही यह एक बेहतरीन औषधि भी है। कई बीमारियों में यह रामबाण दवा के रूप में काम करता है।

प्याज का प्रयोग खाने में बहुत किया जाता है। प्या‍ज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। प्याज लू की रामबाण दवा है। आंखों के लिए यह बेहतरीन औषधि है। प्याज में केलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं कि प्याज आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है।

प्याज के लाभ –

लू लगने पर – गर्मियों के मौसम में प्याज खाने सू लू नहीं लगती है। लू लगने पर प्याज के दो चम्मच रस को पीना चाहिए और सीने पर रस की कुछ बूंदों से मालिश करने पर फायदा होता है। एक छोटा प्याज साथ में रखने पर भी लू नहीं लगती है।

बालों के लिए – बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान पर प्याज का रस रगडने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे। इसके अलावा बालों का लेप लगाने पर काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं।

पेशाब बंद होने पर – अगर पेशाब होना बंद हो जाए तो प्याज दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलुवा बना लीजिए। इसको गर्म करके पेट पर इसका लेप लगाने से पेशाब आना शुरू हो जाता है। पानी में उबालकर पीने से भी पेशाब संबंधित समस्या समाप्त हो जाती है।

जुकाम के लिए – प्याज गर्म होती है इसलिए सर्दी के लिए बहुत फायदेमंद होती है। सर्दी या जुकाम होने पर प्याज खाने से फायदा होता है।

उम्र के लिए – प्याज खाने से कई शारीरिक बीमारियां नहीं होती हैं। इसके आलावा प्याज कइ बीमारियों को दूर भगाता है। इसलिए यह कहा जाता है कि प्याज खाने से उम्र बढती है, क्योंकि इसके सेवन से कोई बीमारी नहीं होती और शरीर स्वस्‍थ्‍य रहता है।

पथरी के लिए – अगर आपको पथरी की शिकायत है तो प्याज आपके लिए बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को चीनी में मिलाकर शरबत बनाकर पीने से पथरी की से निजात मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-आप कटकर प्यास के रास्ते से बाहर निकल जाती है।

गठिया के लिए – गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। गठिया में सरसों का तेल व प्याज का रस मिलाकर मालिश करें, फायदा होगा।

यौन शक्ति के लिए – प्याज खाने से शरीर की सेक्स क्षमता बढती है। शारीरिक क्षमता को बढाने के लिए पहले से ही प्याज का इस्तेमाल होता आया है। प्याज आदमियों के लिए सेक्स पॉवर बढाने का सबसे अच्छा टॉनिक है।

इसके अलावा प्याज कई अन्य सामान्य शारीरिक समस्याओं जैसे – मोतियाबिंद, सिर दर्द, कान दर्द और सांप के काटने पर भी प्रयोग किया जाता है। प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एडियों को राहत मिलती है।


                     अदरक जड़ी बूटी

हम अत्यधिक अपने शुद्ध गुणवत्ता के लिए सराहना की है कि Sonthi अदरक जड़ी बूटियों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन जड़ी बूटियों उनकी तीखी खुशबू और नागरिकों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में चिकित्सा गुणों के लिए जाना जाता है. हमारी सीमा के बेहद पोषक है और कृत्रिम ripeners के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. हमारे द्वारा की पेशकश अदरक बकाया गुणवत्ता लाने के लिए उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों में उगाया जाता है.



विशेषताएं:
उच्च पोषण मूल्य
बेहतर गुणवत्ता
उपभोग के लिए सुरक्षित


    छोटे से नींबू के गुणकारी नुस्खे

मिर्गी- चुटकी भर हींग को नींबू में मिलाकर चूसने से मिर्गी रोग में लाभ होगा।

पायरिया- नींबू का रस व शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलते रहने से रक्त व पीप आना बंद हो जाएगा।

दांत व मसूड़ों का दर्द- दांत दर्द होने पर नींबू को चार टुकड़ों में काट लीजिए, इसके पश्चात ऊपर से नमक डालकर एक के बाद एक टुकड़ों को गर्म कीजिए। फिर एक-एक टुकड़ा दांत व दाढ़ में रखकर दबाते जाएं व चूसते जाएं, दर्द में काफी राहत महसूस होगी। मसूड़े फूलने पर नींबू को पानी में निचोड़ कर कुल्ले करने से अत्यधिक लाभ होगा।

दांतों की चमक- नींबू के रस व सरसों के तेल को मिलाकर मंजन करने से दांतों की चमक निखर जाएगी।

हिचकी- एक चम्मच नींबू का रस व शहद मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाएगी। इस प्रयोग में स्वादानुसार काला नमक भी मिलाया जा सकता है।

खुजली- नींबू में फिटकरी का चूर्ण भरकर खुजली वाले स्थान पर रगड़ने से खुजली समाप्त हो जाएगी।

जोड़ों का दर्द- इस दर्द में नींबू के रस को दर्द वाले स्थान पर मलने से दर्द व सूजन समाप्त हो जाएगी।

पीड़ा रहित प्रसव- यदि गर्भधारण के चौथे माह से प्रसवकाल तक स्त्री एक नींबू की शिकंजी नित्य पीए तो प्रसव बिना कष्ट संभव हो सकता है।


              लौंग के स्वास्थवर्धक गुण

परिचय :लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। लौंग के पेड़ बहुत बड़े होते हैं। इसके पेड़ को लगाने के आठ या नौ वर्ष के बाद ही फल देते है। इसका रंग काला होता है। यह एक खुशबूदार मसाला है। जिसे भोजन में स्वाद के लिए डाला जाता है। लौंग दो प्रकार की होती है। एक तेज सुगन्ध वाली दूसरी नीले रंग की जिसका तेल मशीनों के द्वारा निकाला जाता है जो लौंग सुगन्ध में तेज, स्वाद में तीखी हो और दबाने में तेल का आभास हो उसी लौंग का अच्छा मानना चाहिए।

लौंग का तेल पानी की तुलना में भारी होता है। इसका रंग लाल होता है। सिगरेट की तम्बाकू को सुगन्धित बनाने के लिए लौंग के तेल का उपयोग होता है। लौंग के तेल को औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। इसके तेल को त्वचा पर लगाने से त्वचा के कीड़े नष्ट होते हैं।
हानिकारक :ज्यादा लौंग खाने से गुर्दे और आंतों को नुकसान पहुंच सकता है।

 गुण :आयुर्वेदिक मतानुसार लौंग तीखा, लघु, आंखों के लिए लाभकारी, शीतल, पाचनशक्तिवर्द्धक, पाचक और रुचिकारक होता है। यह प्यास, हिचकी, खांसी, रक्तविकार, टी.बी आदि रोगों को दूर करती है। लौंग का उपयोग मुंह से लार का अधिक आना, दर्द और विभिन्न रोगों में किया जाता है। यह दांतों के दर्द में भी लाभकारी है।

लौंग की पहचान :व्यापारी लौंग में तेल निकाला हुआ लौंग मिला देते है। अगर लौंग में झुर्रिया पड़ी हो तो समझे कि यह तेल निकाली हुई लौंग है।
विभिन्न रोगों का लौंग से उपचार :

1.    बेहोशी:  
2.    जुकाम:  
3.    रतौंधी:
4.    बुखार:  
5.    आंख पर दाने का निकलना:  
6.    दांतों के रोग:
7.    प्रमेह:  
8.    सूखी या गीली खांसी:  
9.    भूख न लगना:
10.    गर्भवती स्त्री की उल्टी:  
11.    बुखार में खूब प्यास लगना:  
12.    पेट दर्द और सफेद दस्त:
13.    जीभ कटने पर:  
14.    सिर दर्द:  
15.    पेट की गैस:
16.    अम्लपित्त:  
17.    नासूर:  
18.    हैजा:
19.    पित्तज्वर:  
20.    आन्त्रज्वर (टायफाइड):  
21.    सर्दी लगना:
22.    मुंह की बदबू:  
23.    दिल की जलन:  
24.    जी मिचलाना:
25.    दांतों का दर्द:  
26.    दमा या श्वास रोग:  
27.    फेफड़ों की सूजन:
28.    अंजनहारी, गुहेरी:  
29.    दांत मजबूत करना:  
30.    पायरिया:
31.    दांत के कीड़े:  
32.    काली खांसी:  
33.    खांसी:
34.    अफारा (पेट का फूलना):  
35.    जीभ और त्वचा की सुन्नता:  
36.    कब्ज:

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