मधुमेह को नियंत्रण करने के कुछ आसन से घरेलू उपाय

*तुलसी के पत्तों में ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इनसुलिन के लिये सहायक होते है । इसलिए दो से तीन तुलसी के पत्ते को प्रतिदिन खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।
*10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पावडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए।
*काले जामुन अचूक औषधि मानी जाती है।काले नमक के साथ जामुन खाना चाहिए।
*लगभग एक महीने के लिए अपने रोज़ के आहार में एक ग्राम दालचीनी का इस्तेमाल करें, इससे ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ वजन को भी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।
*करेले का कड़वा रस रोज पीना चाहिए। उबले करेले के पानी से शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त किया जा सकता है।
*मैथीदानों का चूर्ण नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून पानी के साथ लेना चाहिए ।

*काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में 5-6 भिंडियाँ काटकर रात को गला दीजिए, सुबह इस पानी को छानकर पी लीजिए।
*नियमित रूप से दो चम्मच नीम और चार चम्मच केले के पत्ते के रस को मिलाकर पीना चाहिए।
*ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स होते हैं जो एक मज़बूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व हैं, शरीर इन्सुलिन का सही तरह से इस्तेमाल कर पाता है।
*सहजन के पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।इन पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।
*एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए।
*गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों से रस निकालकर प्रतिदिन सेवन करें ।
*भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में खीरा नींबू निचोड़कर खाकर भूख मिटाना चाहिए।
* शलजम के अतिरिक्त तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए।
*6 बेल पत्र , 6 नीम के पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगनबेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत काली मिर्च ताज़ी पत्तियाँ पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लें और सेवन के बाद कम से कम आधा घंटा और कुछ न खाएं।


क्‍या है थायरायड रोग और उसके लक्षण?

मानव शरीर मे पायी जाने वाली सबसे बड़ी एंडोक्राइन ग्‍लैंड में से एक है। गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली की तरह होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।
ग्रंथि के कार्य:-
- शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करती है।
- बच्चों के विकास में विशेष योगदान होता है।
- यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में मदद करता है।
- इसके द्वारा शरीर के टम्‍परेचर को नियंत्रण किया जाता है।
- कोलेस्‍ट्रॉल लेवल का नियंत्रित करना|
- प्रजनन और स्तनपान
- मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा देता है

1.हायपोथायराडिज्म:-

 ग्रंथि से अगर थाईराक्सिन कम बनने लगे तो उसे कहते हैं। इससे निम्न रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं
- शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।
- इसकी कमी से बच्चों में क्रेटिनिज्म नामक रोग हो जाता है।
-12 से 14 साल के बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
- शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सूजन भी आ जाती है।
- सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है।
- शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है।

2. हाइपरथायरायडिज्म

इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है। ये असमान्य अवस्थाएं किसी भी आयु वाले व्यक्ति में हो सकती है पुरुषों की तुलना में पांच से आठ गुणा अधिक महिलाओं में यह बीमारी होती है। इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं।
- शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है।
- घेंघा रोग उत्पन्न हो जाता है।
- शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है।
- अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
- शरीर का वजन कम होने लगता है।
- कई लोगों की हाथ-पैर की अंगुलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है।
- मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है।




थायरायड की जांच:-

बीमारी को जांचने के लिये कुछ परीक्षण किये जाते हैं जैसे- टी3, टी4, एफटीआई, तथा टीएसएच। इन परीक्षणों से स्थिति का पता चलता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि तीस साल से अधिक की उम्र में गर्भ धारण करने वाली हर महिला को थाइरॉयड की जांच करानी चाहिए|

गुस्सा दूर करने के उपाय

इस पृथ्वी पर शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे गुस्सा नहीं आता, जब भी कुछ हमारे मन मुताबिक नहीं होता, तब जो प्रतिक्रिया हमारा मन करता है, वही गुस्सा कहलाता है। वास्तव में "जब हम गुस्सा करते हैं तब हम किसी दूसरे की गलती की सजा खुद अपने को देते हैं।" जब किसी दिन हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं, जीवन में किसी चीज या स्थिति से असंतुष्ट होते है, किसी बात पर हमारे दिल ठेस लगती है, जब हम निराश-हताश हो जाते है तब हम मानसिक रूप से ज्यादा बेचैन हो जाते है उस दिन हमें गुस्सा अधिक आता है और छोटी-छोटी बातों पर अधिक तीखी और त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं|
* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।
* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें।

* दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारे शारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है|

* पलाश के छोटे-छोटे पत्तों की सब्जी खायें ।रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े कम प्रयोग करें |
* बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से   स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।
* चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।
* यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।
* समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे ।

बालों को घने काले और लम्बे बनाने के घरेलु उपचार


1- घी खाएं और जड़ों में मालिश करें।
2- तरोई के टुकड़े कर उसे धूप मे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें।
3- नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करें।
4- बर्रे(पीली) का वह छत्ता जिसकी मक्खियाँ उड़ चुकी हो 25ग्राम, 10-15देसी गुड़हल के पत्ते,1/2लीटर नारियल तेल में मंद-मंद आग पर उबालें| जब छत्ता काला हो जाये तो तेल को अग्नि से हटा दें. ठंडा हो जाने पर छान कर तेल को शीशी में भर लें| प्रतिदिन सिर पर इसकी हल्के हाथ से मालिश करें|

5- कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं।तिल का तेल से मालिश करें ।
6- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर लगाए। 15मिनट बाद धो लें।
7- नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें।चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं।
8- बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं।दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाए और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।
9- 50 ग्राम कलौंजी 1लीटर पानी में उबाल लें। इससे  बालों को धोएं।
10- नीम और बेर के पत्तो को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद धो डालें।
11- लहसुन का रस निकालकर  लगाएं ।सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर जड़ों में लगाएं।
12- 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर लगाना चाहिए। इससे लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।
13- शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इसके सूखने पर नारियल का तेल लगाएं।
14- कपूर 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर पेस्ट बनाकर लगाना चाहिए। इसके पश्चात् गरम पानी से साफ कर लें।
15- गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए।
16- भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करें ।त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करें ।
17- 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें।

पीलिया ठीक करने के सरल उपचार

* संतरा, नींबू ,नाशपती, अंगूर , गाजर ,चुकंदर ,गन्ने का रस पीना फायदेमंद होता है।
*सुबह उठते ही एक गिलास गरम पानी में एक नींबू निचोडकर पियें।
*नाश्ते में अंगूर ,सेवफल‍‍‍‍‍ पपीता ,नाशपती तथा गेहूं का दलिया लें । दलिया की जगह एक रोटी खा सकते हैं।
*मुख्य भोजन में उबली हुई पालक, मैथी ,गाजर , दो गेहूं की चपाती और ऐक गिलास छाछ लें।


*करीब दो बजे नारियल का पानी और सेवफल का जूस लेना चाहिये।
*रात के भोजन में एक कप उबली सब्जी का सूप , ‍ गेहूं की दो चपाती ,उबले आलू और उबली पत्तेदार सब्जी जैसे मैथी ,पालक ।
*रात को सोते वक्त 1 गिलास मलाई निकला दूध दो चम्मच शहद मिलाकर लें।


*सभी वसायुक्त पदार्थ जैसे घी‍ ,तेल , मक्खन ,मलाई कम से कम १५ दिन के लिये उपयोग न करें। इसके बाद थौडी मात्रा में मक्खन या जेतून का तैल उपयोग कर सकते हैं। प्रचुर मात्रा में हरी सब्जियों और फलों का जूस पीना चाहिेये। कच्चे सेवफल और नाशपती अति उपकारी फल हैं।

* दालों का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि दालों से आंतों में फुलाव और सडांध पैदा हो सकती है। लिवर के सेल्स की सुरक्षा की दॄष्टि से दिन में ३-४ बार निंबू का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिये।

* मूली के हरे पत्ते रस निकालकर छानकर पीना उत्तम है। इससे भूख बढेगी और आंतें साफ होंगी।

* टमाटर के रस में नमक और काली मिर्च मिलाकर पीयें। स्वास्थ्य सुधरने पर एक दो किलोमीटर घूमने जाएं और कुछ समय धूप में रहें। अब भोजन ऐसा होना चाहिये जिसमें पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन सी ,विटामिन ई और विटामिन बी काम्पलेक्स मौजूद हों। पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद भी भोजन के मामले में लापरवाही न बरतें।

बवासीर के घरेलू उपचार(piles)


मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है| दो प्रकार की होती है,खूनी और बादी ,खूनी में मस्से खूनी सुर्ख होते है,और उनसे खून गिरता है,जबकि बादी वाली में मस्से काले रंग के होते है,और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है देर तक कुर्सी पर बैठना और बिना किसी शेड्यूल के कुछ भी खा लेना इसका प्रमुख कारण है।

*एक पके केले को बीच से चीरकर उसके दो टुकडे कर लें फिर उस पर कत्था पीसकर छिडक दें, इसके बाद उस केले को खुले आसमान के नीचे शाम को रख दें,सुबह को उस केले को शौच करने के बाद खालें। एक हफ़्ते तक लगातार इसको करने के बाद समाप्त हो जाती है।

* एक नींबू को बीच में से काटकर उसमें लगभग 4-5 ग्राम कत्था पीसकर डाल दीजिए। इन दोनों टुकड़ों को रात में छत पर खुला रख दीजिए। सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद इन दोनों टुकड़ों को चूस लीजिए। पांच दिन तक इस प्रयोग को कीजिए।

*करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा सा सेंधा नमक जरुर मिला दें। पूरे दिन पानी की जगह यह मट्ठा ही पियें। चार-पाँच दिन तक यह प्रयोग करें।

*छोटी पिप्पली को पीस कर उसका चूर्ण बना ले, इसे शहद के साथ लें|

*नीम के छिलके सहित निंबौरी के पावडर को प्रतिदिन 10 ग्राम मात्रा में रोज सुबह बासी पानी के साथ सेवन करें, लाभ होगा। लेकिन इसके साथ आहार में घी का सेवन आवश्यक है।
 *जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है, साथ ही जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर  चूसने से भी फायदा मिलता है।
* आंवले के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ लेने से भी जल्दी ही फायदा होता है।



*एक चम्मच आंवले का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ लेने से भी बवासीर में लाभ प्राप्त होता है।

*नीम का तेल मस्सों पर लगाने से और 4- 5 बूँद रोज़ पीने से बवासीर में बहुत लाभ होता है।

*एक चाय का चम्मच धुले हुए काले तिल ताजा मक्खन के साथ लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।

*50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिए। प्रतिदिन सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर में बहुत आराम मिलता है।
*नियमित रुप से गुड के साथ हरड खालें |नागकेशर, मिश्री और ताजा मक्खन इन तीनो को रोजाना बराबर मिलाकर 10 दिन खालें ।

*जमीकंद को देसी घी में बिना मसाले के भुरता बनाकर खाएँ।

*सुबह खाली पेट मूली का नियमित सेवन| तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें।

पायरिया के आयुर्वेदिक उपचार


1. नीम के पत्ते साफ कर के छाया में सुखा लें। अच्छी तरह सूख जाएँ तब एक बर्तन में रखकर जला दें और बर्तन को तुरंत ढँक दें। पत्ते जलकर काले हो जाएँगे और इसकी राख काली होगी। इसे पीसकर कपड़छान कर लें। जितनी राख हो, उतनी मात्रा में सेंधा नमक पीसकर शीशी में भर लें। इस चूर्ण से तीन-चार बार मंजन कर कुल्ले कर लें। भोजन के बाद दाँतों की ठीक से सफाई कर लें।
2. चुटकी भर नमक चुटकी भर हल्दी में चार पांच बुंद सरसों का तेल मिला कर उंगली से लगाकर 20 मिनट तक रखें लार आवे तो थुकते रहें। नीम के दातुन से ब्रश करें।
3. कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह विटामिन सी का स्रोत होता है|घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलें ।
4. काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकर मलें ।
200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100 मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर दाँतों पर मलें।

5. आंवला जलाकर सरसों के तेल में मिलाएं,इसे मसूड़ों पर धीरे-धीरे मलें।खस, इलायची और लौंग का तेल मिलाकर मसूड़ों में लगाएं।
6. जीरा, सेंधा नमक, हरड़, दालचीनी, दक्षिणी सुपारी को समान मात्रा में लें, इसे बंद बर्तन में जलाकर पीस लें,इस मंजन का नियमित प्रयोग |

7. अनार के छिलके पानी मे डाल कर खूब खौला कर ठंडा कर लें । इस पानी से दिन मे तीन चार बार कुल्ले करें । गरम पानी मे एक चुटकी नमक मिला कर रोज सुबह शाम कुल्ले करें ।

8. बादाम के छिलके तथा फिटकरी को भूनकर फिर इनको पीसकर एक साथ मिलाकर एक शीशी में भर दीजिए। इस मंजन को दांतों पर रोजाना मलें ।
9. कपूर का टुकड़ा पान में रखकर खूब चबाने और लार एवं रस को बाहर निकालें।

10. 5 से 6 बूंद गर्म पानी में लौंग का तेल 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर प्रतिदिन गरारे व कुल्ला करें।

मुहँ में छाले के कुछ आसान से घरेलु उपाय

* सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बनाकर इस चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटना चाहिए।
* शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप करें और लार को बाहर टपकने दें।
* छोटी हरड़ को महीन पीसकर इसे दिन में दो तीन बार अवश्य ही लगायें।
* तुलसी की चार-पाँच पत्तियां नित्य सुबह और शाम चबाकर ऊपर से दो घूँट पानी पीयें।
*सुबह शाम अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।
* पान लगाने वाले कत्थे को लगायें।अमरूद के कोमल ताजे पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने चाहिए।
* कत्था, मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर तीन चार दिन तक दिन में 2-3 बार लगाना चाहिए।
* दिन में 3-4 बार शुद्ध घी या मक्खन लगाना चाहिए ।मिश्री को बारीक पीसकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर लगायें।
* नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करें| अमृतधारा में शहद मिलाकर उसे दिन में 3-4 बार रुई से लगाना चाहिए ।
* दो ग्राम भुना हुआ सुहागा का बारीक चूर्ण पन्द्रह ग्राम ग्लींसरीन में मिलाकर दिन में दो तीन बार लगायें।

* पानी में नारियल का तेल मिलाकर उसके गरारे करें ।
 मट्ठा पीयें।

* नीम के टूथपेस्ट या मंजन करें । मिर्च मसाले, आचार, तम्बाकू,दही या खट्टे पदार्थों का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

दमा से बचाव और उसके घरेलु उपचार


यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।सांस लेने व निकालने में परेशानी होती है। खांसी की त्रीवता और साँस की नली में कफ़ जमा हो जाने से तकलीफ़ और भी ज्यादा बढ जाती है। दमा होने पर खांसी, नाक का बजना, छाती का कड़ा हो जाना, सुबह और रात में सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्षण होते हैं।समान्यता दमा, एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों ,धूम्रपान करने से, ज्यादा सर्द गर्म मौसम, सुगन्धित पदार्थों, ज्यादा कसरत करने और मानसिक तनाव की वजह से काफी तकलीफ देता है।दमा को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है, लेकिन इस पर नियंत्रण हो सकता है, ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके।
* 100 ग्राम दूध में लहसुन की पांच कलियां धीमी आँच पर उबालें इस का हर रोज दिन में दो बार सेवन करें।
* तुलसी के 10-15 पत्ते पानी से साफ़ कर लें फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर बुरक कर खाएं।

* एक पके केले में चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक चौथाई छोटा चम्मच पीसी काली मिर्च भर दें। फिर उसे 2-3 घंटे बाद हल्की आँच में छिलके सहित भून लें। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें। एक माह में ही लाभ होगा।

* लहसुन की दो पिसी कलियां और अदरक की गरम चाय का सेवन सबेरे-शाम करना चाहिए।

* 4-5 लौंग को 150 पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गरम-गरम पी लें। रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से निश्चित रूप से लाभ मिलता है।


* 250 ग्राम पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर उसे 5 मिनट तक उबालें। फिर ठंडा होने पर उसमें चुटकी भर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस मिलाएं, इस सूप का रोज़ सेवन करें ।

* एक चम्मच मैथीदाना को एक कप पानी में उबालें। ठंडा होने पर उसमें अदरक का एक चम्मच ताजा रस और स्वादानुसार शहद मिलाएं। सबेरे-शाम नियमित रूप से इसका सेवन करें।

* एक चम्मच हल्दी को दो चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें ।

* तुलसी के पत्तों को पानी में पीसकर इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें ।

* खाँसी होने पर पहाडी नमक सरसों के तेल मे मिलाकर छाती पर मालिश करें ।

* एक चम्मच हल्दी एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीने से काबू मे रहता है। हल्दी के एन्टीऑक्सीडेंट गुण के कारण एलर्जी भी नियंत्रण में रहती है।

* सूखे अंजीर 4 - 5 पीस रात भर पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। इससे श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकलता है।

* एक चम्मच आंवला रस मे दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से फ़ेफ़डे ताकतवर बनते हैं।

* खांसी होने पर शहद को सूँघे, लाभ होगा । यह एक अच्छा देसी इन्हेलर है।

दाँत दर्द के घरेलू उपचार


*पिसी हल्दी, नमक व सरसो का तेल मिलाकर पेस्ट सा बना कर उसे डिब्वे में रख ले सुबह इस पेस्ट को ब्रुश अथवा उगली के द्वारा दाँतों व मसूड़ों पर लगा लें थोड़ी देर लगा कर रखे फिर बाद में कुल्ला कर लें|

*नींबू के छिलकों पर थोड़ा-सा सरसों का तेल डालकर लगाने से मसूढ़े मजबूत होते हैं, हर प्रकार के जीवाणुओं तथा पायरिया आदि रोगों से बचाव होता है।

*जामफल के पत्तों को अच्छी तरह चबाकर उसका रस मुँह में फैलाकर, थोड़ी देर तक रखकर थूक देने से अथवा जामफल की छाल को पानी में उबालकर उसके कुल्ले करें।

* हींग को मौसमी के रस में डुबोकर दर्द की जगह पर रखें, मौसमी न होने पर हींग में नींबू भी मिलाया जा सकता है।

*तिल के तेल में पीसा हुआ नमक मिलाकर उँगली से दाँतों को रोज लगाएं|

* लौंग सभी बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता हैं। ऐसे में लौंग को दर्द की जगह पर रखना चाहिए, लेकिन इसमें दर्द कम होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है इसलिए इसमें धैर्य रखना चाहिए ।

*जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े के कुल्ले करने से मसूढ़ों की सूजन मिटती है व हिलते दाँत भी मजबूत होते हैं।

*प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं   प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा चबाएं।

*10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें,दिन में 2-3 बार इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है।
*अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करें।  पतीले में पानी में अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
*एक फांक लहसुन को सेंधा नमक के साथ पीसकर दर्द की जगह पर लगायेंगे तो आपको दर्द में आराम मिलेगा।
*नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा तथा कपूर मिलाकर रोज रात को सोने से पहले लगाएं।
*सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर लगाएं, दुर्गन्ध एवं रक्त बंद होकर दाँत मजबूत होते हैं|

*भोजन अथवा अन्य किसी भी पदार्थ को खाने के बाद अच्छी तरह से कुल्ला जरूर करें तथा गर्म वस्तु के तुरंत पश्चात् ठण्डी वस्तु का सेवन न करें।

मोतियाबिंद से बचाव और उपचार

 इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती  जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों 
की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। उम्र ,मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।

* सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।

* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले।

* प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।

* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं।
* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।

* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करें।

* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लें।

* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।

* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले।

* हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

*नीम के तेल को सलाई से आंखों में लगाएं। गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करें ।

सर्दी जुकाम से बचने के आसान घरेलू उपचार


जब हमारा शरीर मौसम के अनुसार एडजस्ट नहीं करता है तो हम मौसमी रोगों के शिकार हो जाते है।मौसम के बदलाव के दौरान व्यक्ति का शरीर वातावरण में हो रहे बदवाल को नहीं झेल पाता है और सर्द-गर्म के असर से सर्दी-जुकाम से ग्रसित हो जाता है|सर्दी की शुरुआत नाक से होती है पर धीरे-धीरे इसका असर पूरे शरीर पर होने लगता है। जुकाम की कोई चिकित्सा नहीं है। इस स्वतः कम होने वाली बीमारी में घरेलू चिकित्सा ज्यादा उपयोगी होती है|

*जब कभी आपके गले में खराश हो और आपकी नाक सर्दियों में बंद हो जाए, तो एक गिलास गर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर गरारे करें। इसे आपका गला साफ होगा और यह वायरस को दुबारा आपके शरीर में प्रवेश करने से रोकता है।

*शहद के साथ अदरक का सेवन सुबह शाम करने से भी सर्दी जुकाम में जल्दी आराम मिलता है।


*किसी सटीम वेपराईज़र से ली गई भाप बंद नाक और बलगम से राहत दिलाएगी। अगर, आपके पास सटीम इंहेलर नहीं है, तो आप केतली में गर्म पानी डालकर भी भाप ले सकते हैं।

*हल्दी को यदि गर्म दूध के साथ किया जाए, तो यह कफ हटाती है और जुकाम में भी बहुत राहत पहुंचाती है।

*एक कप अदरक, तुलसी,पुदीने और कालीमिर्च वाली गर्म चाय, सर्दी से राहत पाने का असरदार घरेलू नुस्खा है।

*किशमिश को पीस कर पानी के साथ पेस्ट बना लें। इसमें चीनी डाल कर उबालें और ठंडा होने के लिए छोड़ दें। रोज रात में सोने से पहले इसको लेने से सर्दी जुकाम में राहत मिलती है।


*जुकाम के इलाज में हल्दी काफी फायदेमंद है। बहती नाक को रोकने के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा।

*इमली और काली मिर्च से बनाया जाने वाला दक्षिण भारतीय सूप रसम को गर्म-गर्म पिएँ, क्योंकि ये आपके शरीर में मौजूद अनावश्यक विषैल पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे जुकाम में बेहद लाभ मिलता है।

*यदि नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च, इलायची और जीरे को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़े में बांध लें और इन्हें बार बार सूंघें जिससे छींक आएगी और बंद नाक भी खुल जाएगी ।

*लहसून की कलियों को उबालकर बनाया जाने वाला लहसून के सूप के सेवन से सर्दी जुकाम में शीघ्र ही लाभ मिलता है।

*सर्दी जुकाम में तुलसी बहुत कारगर है । आप चाहें तो तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या फिर पानी में उबाल कर काढ़ा बना कर पीएं दोनों ही तरीके से फ़ायदा होता है।

*10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और थोड़ा नमक लेकर उसे पानी में मिलाकर उबाल कर काढ़ा बनाएं। दिन में 2 बार एक कप काढ़ा पीने से लाभ मिलता है ।

*विटामिन सी सर्दी के उपचार में काफी लाभदायक है। एक गिलास गर्म पानी में नींबू के रस के साथ एक चमच शहद मिलाकर पिएँ। इस में भरपूर मात्रा में मौजूद विटामिन सी हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढते हैं।
*खजूर की तासीर गर्म होने के कारण इसे सर्दियों के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। खजूर को दूध के साथ उबाल कर पीजिए इससे ठंड में काफी राहत मिलती है

* बार-बार हाथ धोना जुकाम से बचने का सर्वोत्तम उपाय है । इससे संक्रमित वस्तुओं को छूने से हाथ में आये वायरस समाप्त हो जाते हैं ।

* आपके परिवार में यदि किसी को जुकाम होतो एक दूसरे के बर्तन का उपयोग न करें, यदि संभव हो सके तो डिस्पोसेबल बर्तनों का ही उपयोग करें ।

दिल की बीमारियों के घरेलू उपचार

भारत में हार्ट अटैक या दिल की बिमारियों से हर साल लाखों लोगो की मौत होती है। यह बीमारी तनाव, दूषित खानपान, शूगर, ब्लड प्रैशर या मोटापे की वजह से ज्यादा होती है। इसलिए बीमारी में डाक्टर से तुरंत परामर्श लेना जरूरी हो जाता है। वैसे इस बीमारी से समय रहते थोड़ा ध्यान रख कर भी निश्चित ही बचा जा सकता है।
*खाने में सरसों तेल का नियमित इस्तेमाल स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है इसमें आवश्यक फैटी एसिड अनुपात से दिल की बीमारी के जोखिम को 70 प्रतिशत कम किया जा सकता है।

*कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट छील कर खाने से खून का संचार ठीक रहता है और दिल को मजबूत बनाता है,इससे कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।

*सेब का जूस और आंवले का मुरब्बा खाने से दिल बेहतर ढंग से काम करता है।

*शहद दिल को मजबूत बनाता है। इसलिए एक चम्मच शहद प्रतिदिन अवश्य ही लें।

*रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से भी कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।

*लौकी उबालकर उसमें धनिया, जीरा व हल्दी का चूर्ण तथा हरा धनिया डालकर कुछ देर पकाकर इस सप्ताह में कम से कम 2-3 बार खाइए। इससे दिल को शक्ति मिलती है।

*अनार के रस में में मिश्री मिलाकर हर रोज सुबह-शाम पीने से दिल मजबूत होता है।

*बादाम खाने से दिल सेहतमंद रहता है क्योंकि इसमें विटामिन और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है।

*अर्जुन छाल और प्याज को बराबर पीस कर समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में बहुत ही लाभ मिलता है।

*खाने में अलसी के तेल का प्रयोग करें । अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है जिससे भी दिल मजबूत होता है ।

*छोटी इलायची और पीपरामूल का चूर्ण घी के साथ खाने से भी दिल मजबूत रहता है।

*दिल को मजबूत बनाने के लिए गुड को देसी घी में मिलाकर नित्य खाने से भी बहुत फायदा होता है।

*गाजर के रस को शहद में मिलाकर पीने से भी दिल मजबूत होता है।

*अलसी के पत्ते और सूखे धनिए का काढ़ा बनाकर पीने से भी ह्रदय की कमजोरी मिटती है।

कान दर्द के घरेलू उपचार

सर्दी या बरसात के मौसम में कान के रोग हो जाते है। अगर इनका समय से इलाज नहीं किया गया तो सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है। सर्दी ,लगातार तेज और कर्कश ध्वनि, कान में चोंट, कान में कीडा घुसना या संक्रमण,कान में अधिक मैल जमा होना या नहाते समय कान में पानी प्रविष्ठ होना इनमें से किसी भी कारण से कान में रोग हो सकता है। अगर आपको भी कान के दर्द की समस्या सता रही है तो अपनाएं ये उपाय।

*अदरख का रस निकालकर दो बूँद कान में टपका देने से भी कण के दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता है।
*लहसुन की दो कलीयों को अच्छी तरह से पीसकर इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर वूलेन कपडे से बनायी गयी पुल्टीस को दर्द वाले हिस्से पर रखें ,जल्दी ही दर्द में आराम होगा।

*10 मिलि तिल के तेल में 3 लहसुन की कली पीसकर इसे किसी बर्तन में गरम करें।फिर छानकर शीशी में भरलें। इसकी 4-5 बूंदें जिस कान में समस्या हो उसमें टपका दें।कान दर्द में लाभ प्रद नुस्खा है।
*जेतुन का तेल हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के दर्द में राहत मिलती है।

*प्याज का रस निकाल लें,अब रुई के फाये को इस रस में डुबोकर इसे कान के उपर निचोड़ दें ,इससे कान में उत्पन्न सूजन,दर्द , एवं संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।

*तुलसी की ताज़ी पतियों को निचोड़कर दो बूँद कान में टपकाने से कान दर्द से राहत देता है।

*पांच ग्राम मैथी के बीज को एक बडा चम्मच तिल के तेल में गरम करें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें। अब इसे 2 बूंद दूध के साथ कान में टपकादें। कान पीप का यह बहुत ही कारगार इलाज माना जाता है।

*अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूंदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद कान को रुई से साफ कर दें।
*दो या तीन बूँद सरसों का तेल कान में डालने से कान के संक्रमण में तुरंत लाभ मिलता है।

*अपने भोजन में अधिक से अधिक विटामिन -सी युक्त पदार्थों जैसे :अमरुद ,नींबू ,संतरे ,पपीते अदि फलों का प्रयोग करें ये कान के दर्द को कम करने में लाभ देते है।

*केले की पेड की हरी छाल निकालें। इसे गरम करके सोते वक्त इसकी 3-4 बूंदें कान में डालें । कान दर्द की यह बहुत ही उम्दा दवा है।

*मुलहठी कान दर्द में उपयोगी है। इसे घी में भूनकर बारीक पीसकर पेस्ट बनाएं। फिर इसे कान में लगाएं। कुछ ही मिनिट में दर्द बिलकुल समाप्त होगा।

*एक मूली के बारीक टुकडे करके उसे सरसों के तेल में पकावें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें ।कान दर्द में इसकी 2-4 बूंदे दिन में 3-4 बार टपकाने से जल्दी ही आराम मिलता है।

*अजवाईन का तेल और तिल का तेल 1:3 में मिलाएं, इसे मामूली गरम करके कान में 2-4 बूंदे टपका दें। कान दर्द में यह बहुत उपयोगी है।

मोच के घरेलु उपचार

कई बार काम करते समय, खेलते कूदते सीढ़ी चढ़ते हमें यह मालूम ही नहीं हो पाता कि हमारे हाथ-पाँव या कमर में मोच लग गई है, लेकिन कुछ समय बाद उस जगह दुःखने पर हमें यह पता लगता है। मोच आने पर उस अंग पर सूजन आ जाती है और काफी दर्द होने लगता है , अगर आपको असहनीय दर्द या ज्यादा परेशानी है तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ ,लेकिन यदि मोच छोटी है तो आप उस का घरेलू उपचार भी कर सकते है ।

* मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें। जैसे-जैसे चने फूलेंगे वैसे-वैसे मोच दूर होती जाएगी, यह बहुत ही कारगर इलाज माना गया है।

* सरसो और हल्दी को गर्म करके उसे मोच वाले स्थान पर लगायें और उस पर एरण्ड के पत्ते को रखकर पट्टी बांध दें।

* 50 ग्राम तिल के तेल में 2 ग्राम अफीम को अच्छी तरह से मिलाकर मोच वाले अंग पर मालिश करने से काफी लाभ मिलता है।

* फिटकरी के 3 ग्राम चूर्ण को आधा किलो गर्म दूध के साथ लेने से मोच और भीतरी चोट जल्दी ही ठीक हो जाती है।

* 10-10 ग्राम नौसादर और कलमी शोरा को पीसकर उसे 200 ग्राम पानी में मिलाएं फिर इसमें कपड़ा भिगोकर बार-बार मोच के ऊपर लगाने से शीघ्र लाभ होता है।

* मोच वाले अंग पर शहद और चूना मिलाकर उससे दिन में 2-3 बार हल्की मालिश करने से जल्दी आराम होता है।

* मोच वाले स्थान पर तेजपत्ता और लौंग को पीसकर उसका लेप लगायें। इससे धीरे-धीरे मोच के कारण आने वाली सूजन और दर्द दूर हो जाता है।

* कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से हर प्रकार की मोच और बदन दर्द दूर हो जाता है।

* मोच व सूजन पर ग्वारपाठे का रस लगाने से भी शीघ्र ही काफी आराम मिलता है।

* पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर, उस पत्ते को हल्का गर्म करके मोच वाले अंग पर बांध दें।


* पान का पत्ता या आम का पत्ते को अच्छी तरह से साफ और चिकना कर उस पर नमक लगा कर मोच वाले स्थान पर बांधने से काफी लाभ होता है।

* मोच आ जाने पर इमली की पत्तियों को पीसकर उसे गुनगुना करके उसका लेप लगाने से भी तुरंत ही आराम मिलता है।

* चोट लगने पर नमक में काले तिल, सूखा नारियल और हल्दी मिला कर पीस कर गरम करके चोट वाले स्थान पर बांधने से शीघ्र ही आराम मिलता है।

* तुलसी के पत्तों के रस तथा सरसों के तेल को एक साथ मिलाकर उसे थोड़ी-थोड़ी देर बाद दिन में 4-5 बार मोच वाले अंग पर लगाना ठीक रहता है।


* अखरोट के तेल की मालिश करने से भी मोच और हाथ पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।

* नमक को धीमी आग पर काफी सेंककर गर्म-गर्म ही किसी मोटे कपड़े में बांधकर मोच वाली जगह पर सिंकाई करने से आराम मिलता है।

* नमक और सरसों के तेल को एक साथ मिलाकर उसे गर्म करके मोच वाले अंग पर लगाने से लाभ मिलता है।

* नमक और हल्दी को बारीक पीसकर उसे मोच पर लगाने से मोच या चोट के कारण होने वाले दर्द में शीघ्र ही आराम मिलता है।

गठिया के घरेलू उपचार




आज कल हमारी दिनचर्या हमारे खान -पान से  इसका रोग 45 -50 वर्ष के बाद बहुत से लोगो में पाया जा रहा है ।इसमें हमारे शरीर के जोडों में दर्द होता है,    हमारे शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। यूरिक एसीड के कण घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं, इस रोग में रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है।

*दो बडे चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पावडर सुबह और शाम एक गिलास मामूली गर्म जल से लें। एक शोध में कहा है कि चिकित्सकों ने नाश्ते से पूर्व एक बडा चम्मच शहद और आधा छोटा चम्मच दालचीनी के पावडर का मिश्रण गरम पानी के साथ दिया। इस प्रयोग से केवल एक हफ़्ते में 30 प्रतिशत रोगी दर्द से मुक्त हो गये। एक महीने के प्रयोग से जो रोगी इसकी वजह से चलने फ़िरने में असमर्थ हो गये थे वे भी चलने फ़िरने लायक हो गये।

*लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकाकर उसे पीने से दर्द में शीघ्र ही लाभ होता है।

*सुबह के समय सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से भी दर्द से स्थाई रूप से छुटकारा मिलता है।
*एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें। सुबह पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं।मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है। यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है।

*रोगी 4-6 लीटर पानी पीने की आदत डालें। इससे ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।

*एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की 3-4 कुली पीसकर डाल दें, इसे इतना गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए, फिर इसे आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इससे जोड़ों की मालिश करने से दर्द में तुरंत राहत मिल जाती है।
*प्रतिदिन नारियल की गिरी के सेवन से भी जोड़ो को ताकत मिलती है।

*आलू का रस 100 ग्राम प्रतिदिन भोजन के पूर्व लेना बहुत हितकर है।

*प्रात: खाली पेट एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लगातार लेने से जोड़ो के दर्द में आशातीत लाभ प्राप्त होता है।

*250 ग्राम दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर उसे अच्छी तरह से धीमी आँच में पकायें। पानी जल जाने पर उस दूध को पीयें, शीघ्र लाभ प्राप्त होगा
*संतरे के रस में 15 ग्राम कार्ड लिवर आईल मिलाकर सोने से पूर्व लेने से गठिया में बहुत लाभ मिलता है।

*अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से  काफी राहत मिलती है।
*काली मिर्च को तिल के तेल में जलने तक गर्म करें। उसके बाद ठंडा होने पर उस तेल को मांसपेशियों पर लगाएं, दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
*दो तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 10 ग्राम तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी कुछ भी न लें जल्दी ही फायदा होगा।

*दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधे इससे भी तुरंत लाभ मिलता है।

*गाजर को पीस कर इसमें थोड़ा सा नीम्बू रस मिलाकर रोजाना सेवन करें । यह जोड़ो के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द से राहत दिलाता है।

*हर सिंगार के ताजे 4-5 पत्ती को पानी के साथ पीस ले, इसका सुबह-शाम सेवन करें , अति शीघ्र स्थाई लाभ प्राप्त होगा ।

*अपनी क्षमतानुसार हल्का व्यायाम अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि इनके लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान दायक हैं।

*100 ग्राम लहसुन की कलियां लें।इसे सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ 5-5 ग्राम के साथ पीस कर मिला लें। फिर इसे अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। इसे एक चम्मच पानी के साथ दिन में दो बार लें|
*जेतुन के तैल से मालिश करने से भी बहुत लाभ मिलता है।सौंठ का एक चम्मच पावडर का नित्य सेवन बहुत लाभप्रद है।

*हरी साग सब्जी का इस्तेमाल बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी बहुत लाभदायक रहता है।

*जामुन की छाल को खूब उबालकर इसका लेप घुटनों पर लगाने से आराम मिलता है।

Information about Iron

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