फलों के राजा आम के घरेलू नुस्खे

भारत में आम एक प्रचलित और स्वादिष्ट फल है। देश के सभी स्थानों में इसकी उत्पत्ति होती है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े बगीचों में इसके वृक्ष लगाए जाते हैं। आम के पेड़ के प्रायः समस्त अंग काम में आते हैं। औषधि प्रयोग में विशेषकर इसकी गुठली ली जाती है।
आम का कच्चा फल स्वाद में खट्टा और पका फल मीठा होता है। यह रूधिर विकार दूर करने वाला तथा फोड़े-फुंसियों का नाश करने वाला है।

* आमपाक : दो किलो कच्चे आमों को छीलकर कतर लें। फिर दो लीटर पानी में पकाएं। जब आधा पानी रह जाए तब ठंडा कर धो लें। फलालेन के कपड़े में रस टपका लें। फिर इस अर्क के समान शकर मिला पक्की चाशनी कर लें। इसे खाने से मन प्रसन्न रहता है। इसे अंगरेजी में 'मैंगो जैली' कहते हैं।

* दुग्ध के साथ आम : इसका सेवन अत्यंत लाभदायक है। यह स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वातपित्त कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और रंग को निखारने वाला है।
* आम की गुठली : आम की गुठली के गूदे में बहुत से पौषक तत्व सम्मिलित हैं। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।

* गले के रोग : आम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के अनेक रोग दूर होते हैं। जी मिचलाना, पेट की जलन : आम की मिंगी के 5 ग्राम चूर्ण को दही के साथ मिलाकर सेवन करने से जी मिचलाना और पेट की जलन दूर होती है।
* बिच्छू, ततैया, मकड़ी का विष : अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाएं। इससे विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है।

* फुंसियां : आम की छाल पानी में घिसकर लगाएं।

सात अचूक उपाय जो जीवन में हर लक्ष्‍य तक पहुंचाय

 
■ खुश रहना कोई लक्ष्य नहीं है। बल्कि यह जानना जरूरी है कि आखिर किस चीज से आपको खुशी होती है। इस बारे में अपना नजरिया साफ रखें। किसी खास बिंदु पर अपनी नजर रखें। मान लीजिए, आप फिटनेस हासिल करना चाहते हैं।  लेकिन, आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि आखिर आपकी नजर में फिटनेस का अर्थ क्या है। क्या पांच-सात किलो वजन कम करना आपके लिए काफी होगा या आप शारीरिक शक्ति बढ़ाना चाहते हैं या किसी खास ड्रेस में फिट आना आपका लक्ष्य है या फिर मैराथन के लिए फिट होना आपका लक्ष्य है। कहने का अर्थ यह है कि आपको अपनी खुशी के बारे में सटीक और पिन प्वांइट जानकारी होनी चाहिए।

 ■ कुछ सीखने और जानने के लिए हर बार घर से बाहर निकलना जरूरी नहीं। इंटरनेट के इस दौर में काफी चीजें घर बैठे ही सीखी जा सकती हैं। कामयाब लोगों के बारे में पढ़ें और देखें उन्होंने अपने जीवन में कामयाबी कैसे पाई। ऐसे लोगों के बारे में जानकारी हासिल करना, जिन्होंने जीवन में वही हासिल किया है, जो आपका लक्ष्य है। इससे आपको चरणबद्ध कामयाबी हासिल करने में मदद मिलेगी। अच्छा रहेगा अगर आप उन प्वाइंट्स को लिख लें इससे आपको जीवन में अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।


■ यह बहुत जरूरी है। हम शुरुआत तो बहुत अच्छी करते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में यह जुनून कहीं खो जाता है। हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। हमें अपनी क्षमताओं पर ही संदेह होने लगता है। हमें नाकामयाबी का डर सताने लगता है। हमें नकारे जाने और अपना लक्ष्य हासिल न कर पाने का डर सताने लगता है। हम मेहनत के कड़े रास्ते के स्थान पर शॉर्ट कट तलाशने लगते हैं। इससे आपको कामयाबी हासिल नहीं होगी। कामयाबी के लिए जुनून होना बहुत जरूरी है। जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए, उसे छोड़ना सही नहीं है।

■ अपने आप से यह सवाल जरूर पछें। पूछें कि आपके लिए आपके लक्ष्य की क्या कीमत है। क्या आप उसे हासिल किये बिना अपना जीवन पूर्ण मानते हैं। यह केवल आपके अहम को संतुष्ट करने का सवाल नहीं है, यहां बात कुछ और है। यहां मायने रखता है कि आपकी नजरों में आपके सपने कितने मायने रखते हैं और उन्हें हासिल करने के लिए आप कितनी मेहतन कर सकते हो। यह खुद से एक मुलाकात की तरह है। इन सवालों के जवाबों के बिना शायद लक्ष्य का आनंद अधूरा ही रह जाता है।

■ नतीजे बहुत मायने रखते हैं, लेकिन इससे ज्यादा मायने रखती है वो सीख जो आपको इस पूरे सफर में मिलती है। लक्ष्य हासिल करने के दौरान आप विभ‍िन्‍न चरणों से गुजरते हैं और हर चरण आपको कुछ सिखाता है। अगर एक बार आप नाकामयाब भी हो जाएं, तो उन सीखों को कभी न छोड़ें। ये सीख जीवन भर काम आएंगी। नकारात्मक विचारों से दूर रहें। संभव हैं कि कई बार परिणाम आपके पक्ष में न आएं, लेकिन इस सफर में आपने जो सीखा है, वह हमेशा आपके साथ रहेगा।


■ अपने हक पर कायम रहें। अपने हिस्‍से की कामयाबी और उसका श्रेय किसी दूसरे व्‍यक्ति को न लेने दें। यह आपका है और आपको पूरी कोशिश करनी चाहिए कि आपसे आपका हक कोई न छीन पाये। आपको उसे हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। हो सकता है यह इतना आसान न हो, लेकिन इस दुनिया में आसानी से कुछ नहीं मिलता। उदाहरण के लिए यदि आप अपने स्‍वभाव में किसी प्रकार का सकारात्‍मक बदलाव करना चाहते हैं, तो आप अकेले के लिए यह कर पाना मुश्किल होगा। इस पर टिके रहने के लिए आपको कई प्रकार के समझौते करने पड़ सकते हैँ। विचारों का द्वंद्व आपकी नींद उड़ा सकता है। आपको अपने अहम से समझौता करना पड़ सकता है, इसके साथ ही आपका अपना दिल माफ करने लायक बड़ा बनाना होगा। यह अपने आप से की जाने वाली एक लंबी लड़ाई है, जिसे आपको रोजाना लड़ना होगा।

■ यह पूरी शिक्षा का अर्क है। जानें जो आपने सीखा है वह आपका है। आपसे वह कोई नहीं छीन सकता। भले ही आपका लक्ष्‍य न हो, लेकिन कई बार यह आपके लक्ष्‍य से भी अधिक अहम हो सकता है। आपका यह अनुभव जीवन में बेहतर इनसान बनने में मदद करेगा। यह अनुभव और उससे प्राप्‍त सीख जीवन में सबसे अधिक मायने रखती है।

लक्ष्‍य हासिल करने का सफर वास्तव में अपनी क्षमताओं और सीमाओं का आंकलन करना है। उन्‍हें बढ़ाना है। यह अपने भीतर यात्रा करने का मौका देता है। यह दोषारोपण, शिकायत और गिला-शिकवा नहीं है। नाकामयाबी का कोई बहाना नहीं होता। लक्ष्‍य तो जीवन चक्र के साथ चलते रहने का नाम है।

सफ़ेद दाग का ईलाज


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सबसे पहली बात विरुद्ध आहार छोड़ दो ( सब्जी-रोटी खाये और ऊपर से थोड़ी देर बाद दूध पी लिया, दूध पिया है फिर थोड़ी देर बाद कुछ खा लिया नमक मिर्च वाला )

सफेद दाग का ईलाज :-

एक मुट्ठी काले चने, १२५ मिली पानी में डाल दे सुबह ८-९ बजे डाल दे.... उसमे १० गरम त्रिफला चूर्ण डाल दे, २४ घंटे वो पड़ा रहे ...ढक के रह दे ... २४ घंटे बाद वो छाने जितना खा सके चबाकर के खाये.... सफ़ेद दाग जल्दी मिटेंगें और होमियोपैथीक दवा लें, सफ़ेद दाग होमियोपैथी से जल्दी मिटते है |
*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीने पर डीयो न लगायें।

*मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।

*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दाल, मांस व मछली।

*भोजन में खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन न करें।

*अधिक नमक का प्रयोग न करें।

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*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।

*रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।

*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये ।
*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है।

*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें।

*पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।

*तुलसी का तेल बनायें, जड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायें, धोकर कूट पीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें।


*नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें व पियें भी। एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तक शरबत पियें| नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें ।

पित्त के रोग होने का कारण,लक्षण उपचार

पित्त के रोग होने का कारण:-

. शराब, मांस, अंडे तथा तम्बाकू का सेवन करने के कारण पित्त का रोग उत्पन्न हो जाता है।

. तले हुए तेज मिर्च-मसालेदार पदार्थों का भोजन में अधिक सेवन करने से पित्त का रोग हो सकता है।

. पानी कम पीने के कारण भी पित्त का रोग हो सकता है।

. जब 1 बार किया गया भोजन न पचे और उससे पहले ही व्यक्ति दुबारा भोजन कर ले तो उसे पित्त का रोग हो सकता है।

. अधिक तनावपूर्ण जीवन तथा मानसिक रूप से परेशान रहने के कारण भी पित्त का रोग हो सकता है।

. व्यायाम न करने के कारण भी पित्त का रोग हो सकता है।

. किसी कारण से आमाशय के अंदर पित्त जमा हो जाने के कारण भी पित्त का रोग हो सकता है।
पित्त के रोग होने के लक्षण:-

. पित्त के रोग हो जाने के कारण रोगी के शरीर में गर्मी बढ़ जाती है।

. इस रोग से पीड़ित रोगी के छाती, गले तथा पेट में जलन होने लगती है।

. इस रोग के कारण रोगी के सिर में दर्द होने लगता है।

. पित्त के रोग के कारण रोगी व्यक्ति का जी मिचलाने लगता है तथा उसे उल्टियां भी होने लगती हैं।

. इस रोग से पीड़ित रोगी के पेशाब का रंग पीला हो जाता है।

. इस रोग में रोगी की जीभ पर छाले भी पड़ जाते हैं।

. इस रोग से पीड़ित रोग को खट्टी डकारें आने लगती हैं।

. इस रोग से पीड़ित रोगी को भूख बहुत ही कम लगती है।

. रोगी व्यक्ति की आंखों में जलन होने लगती है।

. पित्त रोग से पीड़ित रोगी के गले में जकड़न होने लगती है।


पित्त के रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-

. पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।

. एक गिलास पानी में नींबू का रस निचोड़कर उसमें थोड़ी सी चीनी तथा 1 चुटकी नमक डालकर पीने से बहुत लाभ होता है। यह पानी दिन में कम से कम 8 से 10 बार पीना चाहिए।

. पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को ठंडे दूध में चीनी डालकर पिलाना चाहिए।

.  इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा ताजी तथा जल्दी पचने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।

. पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को क्रोध तथा ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।

. पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए तथा हंसते रहना चाहिए।

. पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को भोजन में गर्म पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि ठंडे पदार्थों को भोजन में ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए।

. पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को रात को सोने से 2 घंटे पहले भोजन करना चाहिए तथा सोने से पहले मीठा दूध पीना चाहिए।

हींग के घरेलू उपचार

● दाँतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दाँत में हींग दबाकर सोएँ। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएँगे।
● यदि शरीर के किसी हिस्से में काँटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर इसका घोल भर दें। कुछ समय में काँटा स्वतः निकल आएगा।
● इसमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।
● इसका लेप बवासीर, तिल्ली व उदरशोथ में लाभप्रद है।
● कब्जि की शिकायत होने पर  इस के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फाँक लें ।
● पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।
● पेट में कीड़े हो जाने पर इसको पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
● जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर इसका चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

● प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।

एसिडिटी होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार



हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है। पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन और फैरिंक्स और पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है। इस हालत को एसिडिटी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है ।
 कारण:-
  खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवन करना । इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान।आमाषय सामान्यत: भोजन पचाने हेतु जठर रस का निर्माण करता है। लेकिन जब आमाषयिक ग्रंथि से अधिक मात्रा में जठर रस बनने लगता है तब हायडोक्लोरिक एसिड की अधिकता से समस्या पैदा हो जाती है। बदहजमी, सीने में जलन और आमाषय में छाले इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। भारी खाने के सेवन करने से और सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से अधिक शराब का सेवन करना।
अधिक मिर्च-मसालेदार भोजन-वस्तुएं उपयोग करना
मांसाहार, कुछ अंग्रेजी दर्द निवारक गोलियां भी रोग उत्पन्न करती हैं।

 लक्षण:-

* पेट में जलन का एहसास
* सीने में जलन
* मतली का एहसास
* डकार आना
* खाने पीने में कम दिलचस्पी
* पेट में जलन का एहसास

आयुर्वेदिक उपचार:-

* नींबू और शहद में अदरक का रस मिलाकर पीयें ।
* भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
* बबूना तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
* इसके  उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
* चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
* सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
* हरड पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
* पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
* मेथी के पत्ते पेट की जलन में सहायक सिद्ध होते हैं।

* सौंफ एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है।
 घरेलू उपचार:-

* विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
* व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
* खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
* बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करने में मदद करता है।
* खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें |पानी में नींबू मिलाकर पियें।
* नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
* तुलसी के पत्ते और नारियल पानी का सेवन अधिक करें|
* शाह जीरा अम्लता निवारक होता है। डेढ लिटर पानी में २ चम्मच शाह जीरा डालें । १०-१५ मिनिट उबालें। यह काढा मामूली गरम हालत में दिन में ३ बार पीयें। एक हफ़्ते के प्रयोग से नियंत्रित हो जाती है।
* भोजन पश्चात थोडे से गुड की डली मुहं में रखकर चूसें।

* सुबह उठकर २-३ गिलास पानी पीयें। तुलसी के दो चार पत्ते दिन में कई बार चबाकर खाने से अम्लता में लाभ होता है।
* एक गिलास जल में २ चम्मच सौंफ़ डालकर उबालें।रात भर रखे। सुबह छानकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीयें।
* आंवला एक ऐसा फ़ल जिससे शरीर के अनेकों रोग नष्ट होते हैं। इसका उपयोग करना उत्तम फ़लदायी है।
* पुदिने का रस और पुदिने का तेल पेट की गेस और अम्लता निवारक कुदरती पदार्थ है। इसके केप्सूल भी मिलते हैं।
* फ़लों का उपयोग खासकर केला,तरबूज,ककडी और पपीता बहुत फ़ायदेमंद हैं।
* ५ ग्राम लौंग और ३ ग्राम ईलायची का पावडर बना लें। भोजन पश्चात चुटकी भर पावडर मुंह में रखकर चूसें। मुंह की बदबू दूर होगी और अम्लता में भी लाभ होगा।
* दूध और दूध से बने पदार्थ अम्लता नाशक माने गये हैं।
* अचार,सिरका,तला हुआ भोजन,मिर्च-मसालेदार चीजों का परहेज करें। चाय,काफ़ी और अधिक बीडी,सिगरेट उपयोग करने से समस्या पैदा होती है। छोडने का प्रयास करें।
* एक गिलास पानी में एक नींबू निचोडें। भोजन के बीच-बीच में नींबू पानी पीते रहें।
* आधा गिलास मट्ठा( छाछ) में १५ मिलि हरा धनिये का रस मिलाकर पीने से बदहजमी ,अम्लता, सीने मे जलन का निवारन होता है।
* सुबह-शाम २-३ किलोमिटर घूमने से तन्दुरस्ती ठीक रहती है और इससे इसकी समस्या से निपटने में भी मदद मिलती है।

जिगर की सूजन परिचय, प्रकार और चिकित्सा


परिचय- सूजन अनेक प्रकार के अल्कोहल व रासायनिक दवाओं और विषैले तत्वों के अतिरिक्त असंख्य प्रकार के विषाणुओं द्वारा होती है।

जिगर की सूजन कई प्रकार की होती है

हेपेटायटिस- ´ए´ (संक्रामक यकृत शोथ)
हेपेटायटिस - ´बी´ (सीरम यकृत शोथ)
हेपेटायटिस - ´डी´
हेपेटायटिस - ´सी´
नॉन- ´ए´, नॉन- ´बी´ हेपेटायटिस
हेपेटायटिस - ´ए´ (संक्रामक जिगर की सूजन)-

          यह हेपेटायटिस ´ए´ नामक विषाणु से महामारी के रूप में या छुट-पुट रूप में होता है। हेपेटायटिस ´ए´ नामक विषाणु मुंह और मल द्वारा फैलता है। यह विषाणु गंदगी, भीड़-भाड़, सड़े-गले या दूषित भोजन करने से तथा दूषित पानी के द्वारा फैलता है। यह बच्चे व युवको में हल्की बीमारी होती है, जिसकी विशेषताएं भूख का अभाव, व्यग्रता (जल्द परेशान होना), जी मिचलाना, पेचिश, बुखार तथा ठिठुरन होती है और अंत में यह पीलिया रोग के रूप में उभरता है। पीलिया से जिगर को कोई स्थाई हानि नहीं पहुंचती है। इस रोग में उचित चिकित्सा पर ध्यान देने से यह रोग जल्द ठीक हो जाता है।

हेपेटायटिस - ´बी´ (सीरम जिगर की सूजन )-

          हेपेटायटिस ´बी´ नामक विषाणु से यह रोग होता है तथा यह खून के द्वारा फैलता है। लार, वीर्य तथा योनिस्राव में इसके विषाणु मौजूद रहते हैं। इस रोग से ग्रस्त स्त्री अपने नवजात शिशुओं में बच्चे के जन्म के दौरान इसे संचारित करती है। हेपेटायटिस - ´बी´ नवजात बच्चे में हेपेटायटिस ´बी´ के फैलने का खतरा 90 प्रतिशत तक रहता है। यौन संबंधों से भी यह रोग फैलता है। समलैंगिकों व नसों में नशीले इंजैक्शन लेने वालों में भी यह रोग अधिक मात्रा में पाया जाता है। इस रोग के विषाणु वर्षों तक शरीर में मौजूद रहते हैं। इसका उपचार न होने पर यह जिगर का कैंसर व सिरोसिस पैदा कर सकता है। जिस व्यक्ति में हेपेटायटिस ´बी´ का विषाणु मौजूद होता है, उसे सिरोसिस का खतरा रहता है।

हेपेटायटिस - ´डी´-

          हेपेटायटिस ´डी´ का विषाणु दोषयुक्त आर. एन. ए. नामक विषाणु से फैलता है। यह विषाणु हेपेटायटिस ´बी´ के संक्रमण के साथ जिगर की सूजन उत्पन्न करता है। विज्ञान की भाषा में आर. एन. ए. का विषाणु हेपाटायटिस ´बी´ के विषाणु के साथ मिलकर फैलता है तथा पहले यह पुराने रूप में मौजूद हेपेटायटिस ´बी´ को बढ़ाता है या तेज यकृत शोथ (जिगर की सूजन) पैदा करता है।

हेपेटायटिस - ´सी´

          इस प्रकार का यकृतशोथ (जिगर की सूजन) का रोग हेपेटायटिस ´सी´ नामक विषाणु से फैलता है, जोकि अकेला आर. एन. ए. विषाणु होता है। यह रक्ताधान के बाद होने वाली जिगर की सूजन के लिए 90 प्रतिशत तक जिम्मेदार होता है। यौन व माता-शिशु संबंधों में इसका संचार काफी कम पाया जाता है तथा केवल जिगर की सूजन हेपेटायटिस ´सी´ के विषाणु रोगियों तक ही रहता है। इस रोग का समय 6 से 7 दिनों का होता है। साधारण रोग होने के कारण इसके कोई लक्षण नहीं उत्पन्न होते हैं।

नॉन-´ए´, नान-´बी´ हेपेटायटिस -

       यह जिगर की सूजन एक ऐसा रूप है, जिसमें हेपेटायटिस ´ए´ और हेपेटायटिस ´बी´ दोनों पाए जा सकते हैं, परन्तु यह हेपेटायटिस ´बी´ से अधिक समानता रखता है तथा खून का निकलना इसके फैलने का मुख्य स्रोत होता है। इस विषाणु के फैलने से जिगर में सिरोसिस व कैंसर का रोग पैदा हो सकता है।
जिगर की सूजन के लिए योग चिकित्सा-

          जिगर के रोग के लिए योग क्रिया का अभ्यास तथा उसके नियमों का पालन करें। जिगर की सूजन को दूर करने के लिए पहले हल्की योग क्रिया का अभ्यास करें।

          रोगी को इस रोग में पहले लगभग 2 महीनों तक पूरा आराम करना चाहिए तथा साथ ही योग निद्रा आसन का अभ्यास करना चाहिए। इस रोग में पपीता व फलों का रस पर्याप्त मात्रा में लें। सूजन को बढ़ाने वाली किसी भी वस्तु का सेवन न करें। मांसाहारी, मसालेदार, तेल, घी व मक्खन का सेवन न करें। इन नियमों का पालन 2 महीने तक करने के बाद योग का अभ्यास अभ्यास करें।

षट्क्रिया (हठयोग)
कुंजल व वस्त्र धौती क्रिया का अभ्यास करें।


छाती व पेट के स्वास्थ्य के लिए योग क्रिया-

आसन
सूर्य नमस्कार, पश्चिमोत्तासन आसन, त्रिकोणासन, शशांकासन व मत्स्यासन का अभ्यास करें।

प्राणायाम
भस्त्रिका, सूर्यभेदी और नाड़ीशोधन प्राणायाम का अभ्यास करें।

मुद्रा व बंध
योगमुद्रा व उडि्डयान बंध का अभ्यास करें।

अभ्यास का समय
योगक्रिया का अभ्यास प्रतिदिन 30 मिनट तक करें।

प्रेक्षा (मन का ध्यान)
आसन में बैठ कर सांस क्रिया करते हुए हृदय के पास अनाहत चक्र में पीले रंग के कमल के फूल की कल्पना करें।

अनुप्रेक्षा (मन के विचार)
ध्यानासन में बैठकर शांत मन से यह विचार करें- ´´मेरे जिगर की सूजन मिट रही है, मेरे अन्दर स्वच्छ प्राणवायु का प्रवाह हो रहा है। सांस के द्वारा निकलने वाली वायु के साथ मेरे अन्दर की सारी गंदगी बाहर हो रही है और बाहर से शुद्ध वायु का प्रवाह मेरे अन्दर हो रहा है। मेरा जिगर शुद्ध हो रहा है।´´ इस तरह की मन में भावना करें।

भोजन
हल्की व उबली हुई सब्जी का सेवन करें। अपने आस-पास साफ व स्चच्छ तथा भोजन भी स्वच्छ करें। ताजे मौसमी फल, सब्जियों का सूप आदि का सेवन करें।

परहेज
इस रोग में तेल, घी, मसालेदार, मांसाहार, शराब आदि का सेवन न करें। बासी या बाजार के भोजन से परहेज रखें।

क्रीम नहीं बनाती है गोरा, जानिए घरेलू उपाय

सांवली त्वचा बेहद खूबसूरत लगती है लेकिन भारतीय समाज गोरे रंग को प्राथमिकता देता है। इसीलिए हमारे यहां रंग गोरा बनाने वाली ढेरों क्रीम बिकती है। सच तो यह है कि हमारी त्वचा का रंग नहीं बदला जा सकता बस हम उसे साफ- सुथरी और निखरी हुई बना सकते हैं।एक बार आप मान लें कि दुनिया की कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती। आपको जो त्वचा प्राकृतिक रूप से मिली है उसी को स्वस्थ और आकर्षक बनाने के जतन करने चाहिए।

बाजार की क्रीमों में ब्लीच होता है जो उतने ही समय के लिए उजला दिखाता है जितने समय आप उसे लगाते हैं। इन क्रीमों से त्वचा जल जाती है। धीरे-धीरे आप उसके एडिक्ट हो जाते हैं।
■ सांवली त्वचा को सलोनी रंगत देने के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्रा. लेकर पाउडर बना लें। एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएं और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का सांवलापन दूर होकर रंग निखर आएगा।

■ नींबू व संतरे के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस पाउडर को हफ्ते में एक बार बिना मलाई के दूध में मिलाकर लगाएं, त्वचा में आकर्षक चमक आएगी।
■ दूध में केसर या एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है।हरी सब्जियों का नियमित सेवन करें ।
■ गर्मियों में संतरे का ज्यूस दो बार लेने से रंग साफ होता है। लाल मसूर की दाल दूध में गला कर पिसें। इस पैक को सुबह शाम नहाने से पहले चेहरे पर लगाएं। दो वक्त नहाने से भी रंग साफ होता है।

■चेहरे की सफाई के लिए फेस वॉश ही इस्तेमाल करें साबुन नहीं।

आपके फेफड़ों को स्वाभाविक रूप से विसर्जित करें(detox lungs)

ठीक कणों के उच्च स्तर, विशेष रूप से पीएम 2.5, वायु में रक्तचाप बढ़ा सकते हैं और तीव्र हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक।
यद्यपि आप अकेले वायु प्रदूषण को हल नहीं कर सकते हैं, आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कई कदम उठा सकते हैं ताकि आप आसानी से साँस ले सकें। सच्चाई यह है कि आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य की सुरक्षा आपके दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कदम बनती है|
● स्वस्थ खाओ:- एंटीऑक्सिडेंट्स में उच्च खाद्य पदार्थ खाएं। ब्लूबेरी, नारंगी, कीवी, ब्रोकोली, पालक, मीठे आलू, हरी चाय और मछली, विशेष रूप से, एंटी-ऑक्सीडेंट में उच्च हैं।
● वसा का सेवन सीमित करें:- लाल मांस और उच्च वसा वाले डेयरी खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले वसा, विशेष रूप से संतृप्त वसा से बचें या सीमित करें।

●सक्रिय बनो:- शारीरिक रूप से सक्रिय होने से आपके फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी, साथ ही साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी होगा। चलने, तैराकी, आदि जैसे 30 मिनट की मध्यम एरोबिक गतिविधि का लक्ष्य, एक सप्ताह में चार से पांच बार।
● श्वास व्यायाम की कोशिश करो:- अध्ययनों से पता चला है कि कुछ साँस लेने के व्यायाम, जैसे कि होंठ श्वास, पेट की सांस लेने - जिसे डायाफ्रामिक श्वास भी कहा जाता है - विशेष रूप से अस्थमा और जीर्ण अवरोधक फुफ्फुसीय रोग (सीओपीडी)|लेकिन, किसी भी श्वास व्यायाम कार्यक्रम को लेने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से बात करें।

● एक गर्म शॉवर लें:- एक गर्म भाप से भरा शाम आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायता कर सकता है।नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदों को गर्म पानी में जोड़ने का प्रयास करें और वाष्प श्वास लें। यह आपके फेफड़े शुद्ध करने में मदद करेगा, युकलिप्टस में पाए गुण से गले में खराश, भीड़ और साइनस की समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी।

वायु प्रदूषण: पांच प्रकार के खाद्य पदार्थ, जो धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों को कम कर सकते हैं


हालांकि, अनुसंधान ने दिखाया है कि स्वस्थ भोजन खाने से, विशेष रूप से विटामिन सी और ई में समृद्ध लोगों, आपके सिस्टम को साफ करने में मदद कर सकते हैं - विशेष रूप से आपके वायुमार्ग - साथ ही साथ आपके स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम कर सकते हैं। प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए इन आहारों को अपने आहार में शामिल करें:-

1.ब्रोकोली सबसे अच्छा भोजन है जो आपके शरीर को वायु प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकता है। इस सब्जी को खाने से शरीर प्रदूषणकारी पदार्थों से साफ हो जाता है। अनुसंधान ने दिखाया है कि इस सब्जी में पाए जाने वाले कुछ सक्रिय तत्व कुछ प्रकार के वायु प्रदूषण को खत्म करने में मदद कर सकते हैं|
2.अपने आहार में बहुत सारे ताज़ा टमाटर शामिल करें इसमें लाइकोपीन, एक एंटीऑक्सीडेंट होता है जो श्वसन संबंधी बीमारियों से बचाता है|

3. खट्टे फल:- संतरे, अमरूद, कीवी, अंगूर, नींबू जैसे खट्टे फलों को खाएं जो विटामिन सी में समृद्ध हैं। हमारे दैनिक आहार में पर्याप्त विटामिन सी धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों को कम करने के साथ-साथ आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

4. अल्फ़ा-टोकोफेरोल, जैतून का तेल में पाए जाने वाले विटामिन ई का एक प्रकार, फेफड़ों के कार्य में सुधार करता है। इसके अलावा, जैतून का तेल में मौजूद फैटी एसिड सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। शोध से पता चलता है कि जैतून का तेल वायु प्रदूषण कणों के संपर्क के प्रतिकूल नाड़ीयंत्र प्रभावों से बचा सकता है।

5. हरी चाय ग्रह पर स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों में से एक के रूप में जाना जाता है, हरी चाय में एंटीऑक्सिडेंट्स आपको आपके शरीर में विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है

कद बढ़ाने के लिए घरेलु उपचार

● सूखी नागौरी, अश्वगंधा की जड़ को कूटकर बारीक कर चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में खांड मिलाकर किसी टाईट ढक्कन वाली कांच की शीशी में रखें। इसे रात सोते समय रोज दो चम्मच गाय के दूध के साथ लें। इससे दुबले व्यक्ति भी मोटे हो जायेंगे। इससे नया नाखून भी बनना शुरू होता है। इस चूर्ण का सेवन करने से कमजोर व्यक्ति अपने अंदर स्फूर्ति महसूस करने लगता है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लेते रहें। इस चूर्ण को शीतकाल में लेने से अधिक लाभ मिलता है।
सावधानी:- इस चूर्ण का सेवन करते समय खटाई, तली चीजें न खायें।
● सुबह व्यायाम करें। व्यायाम में ताड़ासन करना सर्वोत्तम है।
ताड़ासन:-  दोनों हाथ उपर करके सीधे खड़े हो जायें, दीर्घ श्वास लें, हाथ ऊपर धीरे-धीरे उठाते जायें और साथ-साथ पैर की एडियां भी उठती रहे। पूरी एड़ी उठाने के बाद शरीर को पूरी तरह से तान दें और दीर्घ श्वास लें। इससे फेफडे़ फैलते हैं और स्वच्छ वायु मिलती भी है। ताड़ासन करने से स्नायु सक्रिय होकर विस्तृत होते हैं। इसी कारण यह कद बढ़ाने में सहायक साबित होता है।
● 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, 1 से 2 ग्राम काले तिल, 3 से 5 खजूर को 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एक महीने तक खाने से लाभ होता है।
● पादपश्चिमोत्तानासन, पुल्ल-अप्स करने से एवं अपने हाथ तथा पैरों के बल झूलने तथा दौड़ने जैसी कसरतों के अलावा भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम तथा विटामिनों की जरूरत बहुत आवश्यक है तथा पौष्टिक भोजन करें।

दिमाग एकदम तेज चलने लगेगा

● बादाम 5 रात को पानी में गलाएं। सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बना लें। अब एक गिलास दूध और उसमें बादाम का पेस्ट घोलें। इसमें 2 चम्मच शहद भी डालें और ग्रहण करें। यह मिश्रण पीने के बाद दो घंटे तक कुछ न लें।

● अखरोट भी स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। इसका नियमित उपयोग हितकर है। 20 ग्राम अखरोट और साथ में 10 ग्राम किशमिश लेना चाहिए।
● ब्राह्मी दिमागी शक्ति बढ़ाने की मशहूर जड़ी-बूटी है। इसका एक चम्मच रस रोज पीना लाभदायक होता है। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है। ब्राह्मी मे एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति बढऩे लगती है।
● दालचीनी के 10 ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर चाट लें। कमजोर दिमाग की अच्छी दवा है।अदरक ,जीरा और मिश्री तीनों को पीसकर लें ।

सावधानी :- अधिक गर्म पानी, अधिक गर्म दूध, अधिक धूप में बच्चों को शहद का प्रयोग हानिकारक साबित होता है। साथ ही घी की समान मात्रा प्रयोग करने पर यह विष की भाँति कार्य करने लगता है। इसलिए इन स्थितियों में इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

पेट दर्द के घरेलू उपचार

एक आम समस्या है ,जिससे लगभग सभी व्यक्तियों को जीवन में बार बार सामना करना पड़ता है | इनके कई अलग-अलग काऱण हो सकते है । मुख्य कारण कब्ज का होना, ज्यादा गैस बनना, अपच, विषाक्त भोजन सेवन करना आदि ।
* 5 ग्राम हींग थोडे पानी में पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे नाभी पर और उसके आस पास लगायें फिर क़ुछ देर लेटे रहें। इससे  गैस निकल जायेगी और दर्द में राहत मिलेगी ।
* जीरा को तवे पर भून ले । 2-3 ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ दिन मे 3-4 बार लें या वैसे ही चबाकर खाये।10 ग्राम तुलसी का रस पीयें ।
*त्रिफला का 100 ग्राम चूर्ण में 75 ग्राम चीनी मिलालें इस चुर्ण का 5 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 -3 बार पानी के साथ सेवन करें।
*सूखा अदरक को मुहं मे चूसे। पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीयें। बिना दूध की चाय पीयें।
*अजवाईन तवे पर भून लें। इसको काला नमक के साथ मिलाकर 2-3 ग्राम गरम पानी के साथ दिन में 3 बार लें।
*एक चम्मच अदरक के रस में 2 चम्मच नींबू का रस और थोडी सी चीनी मिलाकर दिन मे 3 बार लें।
*केला एक पोषक आहार होता है। केले का सेवन करें।
*नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूर्ण मिलाकर दिन में तीन चार बार लें।
*हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लें। अनार के बीज थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च के साथ दिन में दो तीन बार लें।
*मूली की चटनी, अचार, सब्जी या मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर खाये । चौलाई की सब्जी बनाकर खाये।
*सौंठ का 1 चम्मच चूर्ण और सेंधा नमक को एक गिलास पानी में गर्म करके पीयें से पेट दर्द खत्म हो जाता है।
*इसबगोल को दूध के साथ रात को सोते वक्त लें|प्याज को आग में गर्म करके रस निकाल लें और इस रस में नमक मिलाकर पीएं।
*दो चम्मच ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं इसे सुबह खाली पेट छानकर पीयें ।

अनिद्रा: रोग, कारण और उपचार

यदि हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए हम अपने अच्छे खान-पान पर, व्यायाम पर,  काम पर ध्यान देते है उसी तरह  हमारा अच्छे से पूरी नींद लेना भी बहुत जरुरी है। हमारा यह कहना गलत नहीं होगा कि
अच्छे भोजन का संबंध अच्छी नींद से है और अच्छी नींद का संबंध सुंदरता से। गहरी नींद आपको खूबसूरत बनाती हैं। नींद न आना एक बीमारी है। इससे प्रभावित व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता है। वह थोड़ी-सी आवाज या रोशनी से जग जाता है, जिसका उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।  कुछ लोग नींद न आने के कारण नींद की गोलियों का सेवन करते है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। अच्छी नींद लेने से शारीरिक एवं मानसिक थकान दूर होती है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए कम से कम 7-8 घंटे सोना जरुरी होता है। अच्छी नींद आने के बाद व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है, साथ ही उसे नई स्फूर्ति का एहसास होता है।

नींद न आने के कारण

मानसिक तनाव, अधिक क्रोध, चिंतन करना, अधिक उत्तेजना, कब्ज, धूम्रपान, चाय-कॉफी का अत्यधिक सेवन, आवश्यकता से कम या अधिक खाना या गरिष्ठ मसालेदार भोजन का सेवन करना।

कैसे करें उपचार

  अगर हम अपनी पूरी नींद नहीं ले पाते तो कही न कही इसमें हमारे भोजन की भी मुख्य भूमिका होती है । कई शोधों से यह पता चला है कि यदि हम संतुलित आहार का सेवन करते हैं तो काफी हद तक कम किया जा सकता है। भोजन में ज्यादा शक्कर, मैदा, ज्यादा तले गरिष्ठ भोजन, चर्बीयुक्त पदार्थ, गर्म मसाला व ज्यादा मसालेदार भोजन, ज्यादा चाय व कॉफी, चॉकलेट, ठंडे पेय पदार्थ, अल्कोहल इत्यादि का सेवन न करें। अपने भोजन में अंकुरित अनाज,दही, दूध,ताजे फल,ताजी हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद इत्यादि को अवश्य शामिल करें।

● आप नियमित व्यायाम की आदत डालें| इससे नींद अच्छी आती है, लेकिन सोने से पहले व्यायाम नहीं करना चाहिए।
● सोने के कमरे को शांत व अंधकारमय रखिए।
● सोने व उठने की नियमित दिनचर्या बनाएं।
● सोते समय सकारात्मक विचार मस्तिष्क को शांति देते हैं।
● अगर नींद न आ रही हो तो बिस्तर पर न जाएं।
● सोने के कमरे का प्रयोग सिर्फ निद्रा के लिए करें।
● आप बिस्तर पर पड़े.पड़े नींद का इंतजार न करें। उठ जाएं व तभी लेटें जब नींद आ रही हो।
● लेट नाइट पार्टियों व टीवी का लोभ छोड़ें।
● दिन में सोने से बचें ताकि रात मेंअच्छे से नींद ले सकें।

कैंसर में खानपान व सावधानियां

कैंसर का नाम सुनते ही मन में एक डर सा पैदा हो जाता था। वजह, इस बीमारी का बहुत ही घातक होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 33% महिलाओ और 25% पुरुषो को उनके जीवनकाल में कैंसर होने की सम्भावना होती है। कैंसर जैसा घातक रोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हमारे देश में शराब व धूम्रपान की लत की वजह से लोग कैंसर जैसी महामारी के चपेट में बड़ी तेजी से फंसते जा रहे है। डब्ल्यूएचओ (हू) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक देश के प्रत्येक घर का एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होगा। लेकिन हर व्यक्ति के स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से 40-50% कैंसर से बचाव भी संभव है। मासिक स्वयं जाँच के द्वारा 10-20% कैंसर मामलो का पता लगाया जा सकता है। कैंसर की समय से पहचान और इलाज होने पर इसको पूर्ण रूप से ठीक करना संभव है। और ठीक होने के बाद कोई भी व्यक्ति सामान्य रुप से जिंदगी को जी सकता है।

भारत में पुरुषो में फेफड़ो,आवाज की नली ,गले, जीभ ,मुह, खाने की नली ,पित्ताशय,पौरुष-ग्रंथि(प्रोटेस्ट), इत्यादि कैंसर होने की सम्भावना अधिकतर होती है जबकि महिलाओं में स्तन,गर्भाशय, ग्रीवा, मसाना, अंडाशय, थाइरॉइड, फेफड़े, गले,जीभ, पित्ताशय, व मस्तिष्क के कैंसर की सम्भावना अधिक होती है।
* पेड़-पौधों से बनीं रेशेदार चीजें जैसे फल, सब्जियां व अनाज खाइए।
* चर्बी वाले खानों से परहेज करें। मीट, तला हुआ खाना या ऊपर से घी-तेल लेने से  बचना चाहिए।
* शराब का सेवन कतई न करें या करें तो सीमित मात्रा में।
* खाने में फफूंद व बैक्टीरिया आदि बिलकुल भी न पैदा हो सके ऐसे खाने को तुरंत फ़ेंक दे ।अतिरिक्त नमक डालने से बचें।
* ज्यादा कैलोरी वाला खाना कम मात्रा में खाएं, नियमित कसरत करें।
* विटामिंस और मिनरल्स की गोलियां कम से कम खाएं संतुलित खाने को तहरीज़ दें ।
* दर्द-निवारक और दूसरी दवाइयां खुद ही, बेवजह खाते रहने की आदत छोड़ें।
* इसकी समय समय पर जाँच अवश्य ही कराये ।
* लाल, नीले, पीले और जामुनी रंग की फल-सब्जियां जैसे टमाटर, जामुन, काले अंगूर, अमरूद, पपीता, तरबूज आदि खाने से इसका खतरा कम हो जाता है। इनको ज्यादा से ज्यादा अपने भोजन में शामिल करें ।
 * हल्दी का अपने खाने में प्रतिदिन सेवन करें । हल्दी ठीक सेल्स को छेड़े बिना ट्यूमर के बीमार सेल्स की बढ़ोतरी को धीमा करती है।
* हरी चाय स्किन, आंत ब्रेस्ट, पेट , लिवर और फेफड़ों के कैंसर को रोकने में मदद करती है। लेकिन यदि चाय की पत्ती अगर प्रोसेस की गई हो तो उसके ज्यादातर गुण गायब हो जाते हैं।
*सोयाबीन या उसके बने उत्पादों का प्रयोग करें । सोया प्रॉडक्ट्स खाने से ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर की आशंका कम होती है।
* बादाम, किशमिश आदि ड्राई फ्रूट्स खाने से इसका फैलाव रुकता है।
* पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली आदि में इसको ख़त्म करने का गुण होता है।
*रोज लहसुन अवश्य खाएं। इस से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
* रोज नींबू, संतरा या मौसमी में से कम-से-कम एक फल अवश्य ही खाएं। इससे मुंह, गले और पेट के कैंसर की आशंका बहुत ही कम हो जाती है।
* ऑर्गेनिक फूड का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें ,ऑर्गेनिक यानी वे दालें, सब्जियां, फल जिनके उत्पादन में पेस्टीसाइड और केमिकल खादें इस्तेमाल नहीं हुई हों।
* पानी पर्याप्त मात्रा में पीएं, रोज सुबह उठकर रात को ताम्बे के बर्तन में रखा 3-4 गिलास पानी अवश्य ही पियें ।
* रोज 15 मिनट तक सूर्य की हल्की रोशनी में बैठें|नियमित रूप से व्यायाम करें। गेंहू के पौधे के रस का सेवन करें ।
* तुलसी और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का इलाज संभव है।वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें इसे  रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है। घाव भरने में भी तुलसी मददगार होती है।
* अनार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें अनार खासकर स्तन कैंसर में बहुत ही प्रभावी माना गया है ।

नीम जूस पीने के गुणकारी फायदे

1. इसमें एंटी इंफ्लेमेट्री तत्व पाए जाते हैं, इसका अर्क पिंपल और एक्ने से मुक्ती दिलाने के लिये बहुत अच्छा माना जाता है। इसके अलावा शरीर की रंगत निखारने में भी असरदार है।
2. इसकी पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।
3.शरीर की गंदगी निकल जाती है। जिससे बालों की क्वालिटी, त्वचा की कामुक्ता और डायजेशन अच्छा हो जाता है।
4. मधुमेह रोगियों के लिये भी फायदेमंद है। अगर आप रोजाना इसका जूस पिएंगे तो आपका ब्लड़ शुगर लेवल बिल्कुल कंट्रोल में हो जाएगा।
5. दो बूंदे आंखो में डालने से आंखो की रौशनी बढ़ती है और अगर कन्जंगक्टवाइटिस हो गया है, तो वह भी जल्द ठीक हो जाता है।

6. शरीर पर चिकन पॉक्स के निशान को साफ करने के लिये,  इसके रस से मसाज करें| त्वचा संबधि रोग, जैसे एक्जिमा और स्मॉल पॉक्स भी इसके पीने से दूर हो जाते हैं।

7. एक रक्त-शोधक औषधि है, यह बुरे कैलेस्ट्रोल को कम या नष्ट करता है। इसका महीने में 10 दिन तक सेवन करते रहने से हार्ट अटैक की बीमारी दूर होती   है ।

8. मसूड़ों से खून आने और पायरिया होने पर  इसका दातुन नित्य करने से दांतों के अन्दर पाये जाने वाले कीटाणु नष्ट होते हैं। दाँत चमकीला एवं मसूड़े मजबूत व निरोग होते हैं। इससे चित्त प्रसन्न रहता है।

9. मलेरिया रोग में वाइरस के विकास को रोकता है और लीवर की कार्यक्षमता को मजबूत करता है।

मस्सों से बचने के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार

शरीर पर मस्से बहुत अजीब लगते है वैसे तो कोई तकलीफ़ नहीं देते लेकिन ये शरीर खासकर चेहरे की सुंदरता को भी बिगाड़ देते हैं। अक्सर अपने-आप समाप्त हो जाते हैं ।इसको काटने और फोड़ने के कारण इस का वायरस शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते है जिसके कारण और ज्यादा  हो जाते हैं। गर्दन,हाथ,पीठ ,चिन,पैर आदि शरीर के किसी भी जगह हो सकते हैं।
* आलू काटकर तुरंत उसकी फ़ांक को रगडनी चाहिये। ऐसा दिन में 3 से 4 बार करें ।
* केले के छिलके का भीतरी हिस्सा इस पर रगडें।
* अलसी के बीजों को पीस कर इसमें तेल और शहद मिलाएं और फिर इसे मस्से पर लगा लें ऐसा 4 - 5 दिन नियम से करें।
* खट्टे सेब लेकर उनका जूस निकाल के उसे दिन में कम से कम तीन बार  इस पर लगाइए। धीरे-धीरे झड़ जाएंगे।
* एक प्याज को लेकर उसके रस को सुबह शाम नियमित रूप से लगाने से समाप्त होते हैं।
* बेकिंग सोडा और अरंडी के तेल को रात में इस पर लगाकर सो जाइए, धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।
* रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद मस्सों पर शहद लगाइए ।
* लहसुन की कली को छील कर उसे काटकर रगडि़ए, ताजा कटा हुआ अनानास लें कर उसे इस पर लगाएं| 

खाँसी के घरेलू उपचार

*सौंठ को पीस कर पानी में खूब देर तक उबालें। जब एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन गुनगुना होने पर दिन में तीन चार बार करें। गुनगुने पानी से गरारे करें ।
*तुलसी पत्ते, 5 काली मिर्च, 5 नग काला मनुक्का, 6 ग्राम गेहूँ के आटे का चोकर , 6 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम बनफशा के फूल लेकर 200 ग्राम पानी में उबालें।1 /2 रहने पर ठंडा कर छान लें। फिर गर्म करके बताशे डालकर रात सोते समय गरम-गरम पी जाएँ और चादर ओढ़कर सो जाएँ तथा हवा से बचें।
*काली मिर्च, हरड़े का चूर्ण, तथा पिप्पली का काढ़ा बना कर दिन में दो बार लें। 1 चम्मच शहद में पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर पीलें।


*1 चम्मच अदरक का रस में एक चौथाई शहद एवं चुटकी भर हल्दी मिलाकर लें । मूली का रस और दूध को बराबर मिलाकर 1 -1 चम्मच दिन में छह बार लेने से भी शीघ्र लाभ मिलता है ।
*हींग, काली मिर्च और नागरमोथा को पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन भोजन के बाद दो गोलियों का सेवन करने से खाँसी और कफ में लाभ मिलता है ।
*1 चम्मच अजवाइन एवं हल्दी मिलाकर गरम कर ले,फिर उसे ठंडा होने के बाद शहद मिलाकर पी जाएँ ।
*सेंधा नमक की डली को आग पर अच्छे से गरम कर लीजिए। जब नमक की डली गर्म होकर लाल हो जाए तो तुरंत आधा कप पानी में डालकर निकाल लीजिए। उसके बाद इस नमकीन पानी को पी लीजिए। ऐसा पानी 2-3 दिन सोते वक्त पीलें|शहद, किशमिश और मुनक्के को मिलाकर लें ।
*हींग, त्रिफला, मुलेठी और मिश्री को नींबू के रस में मिलाकर चाटने से फायदा मिलता है। भुने हुए चने को कालीमिर्च के साथ खाएँ । तुलसी, कालीमिर्च और अदरक की चाय पीएँ ।
*पानी में नमक, हल्दी, लौंग और तुलसी पत्ते उबालें। इस पानी को छानकर रात को सोते समय गुनगुना पिएँ। इसके लगातार सेवन से 7 दिनों के अंदर खाँसी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है ।
* मूंगफली,चटपटी व खट्टी चीजें, ठंडा पानी, दही, अचार, खट्टे फल, केला, कोल्ड ड्रिंक, इमली, तली-भुनी चीजों को खाने से बचना चाहिए ।
*सूखी खांसी में काली मिर्च को पीसकर घी में भूनकर लेना बहुत उत्तम रहता है। पान का पत्ता और थोड़ी-सी अजवायन , चुटकी भर काला नमक व शहद मिलाकर लें।बताशे में काली मिर्च डालकर चबाएँ  ।

सर दर्द के घरेलू उपचार

आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में सिर दर्द एक सामान्य बात है। हर उम्र के लोग अकसर इसकी शिकायत करते हैं।हर किसी को कभी ना कभी अनुभव अवश्य ही होता है। लेकिन कारण अलग अलग हो सकते है| मुख्य कारण सर की धमनियॉं और मांस पेशी में तनाव पैदा होना है।

*रात में कम-से-कम 6-8 घंटे की नींद जरूर लें और सोने - जागने का शेड्यूल एक जैसा रखने की ही कोशिश करें।
*आप लौंग पाउडर और नमक का पेस्ट बना कर इसे दूध में मिलाकर पीएं, तुरंत आराम मिलेगा।
*पिपरमिंट  चाय पीएं । जिस हिस्से में दर्द हो, उसके दूसरे हिस्से की तरफ नाक के छिद्र में एक बूंद शहद डालें ।
*कई बार पेट में गैस बनने से भी दर्द होता है। इसके लिए एक ग्लास में गर्म पानी और नींबू का रस मिला कर पीएं।
*लौंग को हल्की गर्म करके उसे पीसकर सिर पर लेप करें ।काम के बोझ से बचने के लिए लोग ज्यादा चाय , कॉफी आदि पीते रहते हैं, जिनमें कैफीन होता है। ज्यादा कैफीन ना लें ।
*बादाम के तेल में केसर मिलाकर दिन में तीन चार बार सूंघे। गाय का गर्म दूध पीएं। साथ ही अपने आहार में देशी घी को भी शामिल करें।
*नौशादर और खाने वाला चूना बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में भरकर उसे अच्छी तरह मिला लें| दर्द होने पर इसे सूंघे ।
*अगर दर्द जुखाम की वजह से है तो आप धनिया, चीनी को पानी में घोल कर पीएं ।
*दालचीनी को पीस कर उसका पाउडर बना लें। अब इसे पानी में मिला कर पेस्ट तैयार करें।इसे सिर पर लगा लें ।
*सरसों के तेल को कटोरी में डालकर 1 से 2 मिनट तक दिन में तीन चार बार सूंघें।

* एक मुनक्के के बीज निकालकर उसमें एक साबुत राई रख दें। 2-3 दिन लगातार सूर्योदय से पहले कुल्ला करके पानी से मुनक्का निगल लें ।
*कुर्सी पर बैठ कर अपने पांव गर्म पानी में डुबो कर रखें। सोने से पहले कम से कम 15 मिनट तक ऐसा करें।इसे नियमपूर्वक सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार तक करें।
* गर्मी के समय में नारियल के तेल से 10-15 मिनट मसाज करें । यह सिर को ठंडक पहुंचाता है साथ ही दर्द भी कम करता है।
* सुबह सेब पर नमक लगा कर खाएं। इसके बाद गर्म दूध पीएं। ऐसा लगातार 10 दिन तक करें ।
*चाय बना कर उसमें थोडी सी अदरख के साथ लौंग और इलायची भी मिलाकर पीएं ।
*लहसुन के कुछ टुकड़े लेंकर उसे निचोड़ का रस निकालकर उसे पी जाएँ । लहसुन एक पेनकीलर के रूप में काम करता है।लौकी का गूदा सिर पर लेप करें।
*15 मिनट तक बादाम के तेल से मसाज करें| मांसपेशियों के तनाव को कम करने के लिए कंधे, गर्दन और कनपटी के हिस्से में मसाज करना अच्छा रहता है। सप्ताह में चार से पांच बार व्यायाम अवश्य ही करें।
*पान अपने दर्दनाशक गुणों के लिए जाना जाता है।  ताजा हरा पान चबा चबा कर खाइये ।खीरा काटकर सूंघें ।

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