Migraine

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   क्या होता है माइग्रेन! कारण, लक्षण और उपाय

माइग्रेन, एक ऐसी बीमारी जिसके मरीज दुनियाभर में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हमारे देश में भी इसकी तादाद बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ा कारण है भागदौड़ की जिंदगी। जो तनाव से तो भरपूर है पर उससे मुक्त होने के लिए हम कोई उपाय नहीं करते। बस यही सारी वजहें धीरे-धीरे माइग्रेन के रुप में बदलने लगती हैं।

माना जाता है कि जैसे ही आप सामान्य स्थिति से एकदम तनाव भरे माहौल में पहुंचते हैं तो सबसे पहले आपका सिर दर्द बढ़ता है। ब्लडप्रेशर हाई होने लगता है और लगातार ऐसी स्थितियां आपके सामने बनने लगे तो समझिए आप माइग्रेन के शिकार हो रहे हैं।

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सिरदर्द से हर किसी का वास्ता है। ये एक ऐसा रोग है जिसके कई कारण हो सकते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बेवजह सिरदर्द के शिकार हो गए हों। सिरदर्द का एक गंभीर रूप जो बार-बार या लगातार होता है, उसे माइग्रेन कहते हैं। माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में अधकपारी भी कहते हैं।

                      माइग्रेन के लक्षण

आम तौर पर इसका शिकार होने पर सिर के आधे हिस्से में दर्द रहता है। जबकि आधा दर्द से मुक्त होता है। जिस हिस्से में दर्द होता है, उसकी भयावह चुभन भरी पीड़ा से आदमी ऐसा त्रस्त होता है कि सिर क्या बाकी शरीर का होना भी भूल जाता है।

माइग्रेन मूल रूप से तो न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। ये कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, जी मिचलाने, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

इसके अलावा फोटोफोबिया यानी रोशनी से परेशानी और फोनोफोबिया यानी शोर से मुश्किल भी आम बात है। माइग्रेन से परेशान एक तिहाई लोगों को इसकी जद में आने का एहसास पहले से ही हो जाता है। पर्याप्त नींद न लेना, भूखे पेट रहना और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना जैसे कुछ छोटे-छोटे कारणों से भी आपको माइग्रेन की शिकायत हो सकती है।

                      माइग्रेन के कारण

माइग्रेन के कारण कई हो सकते हैं। एक तरफ तो कुछ स्थितियां हैं और दूसरी तरफ कुछ रोग भी होते हैं।

ज्यादातर लोगों को भावनात्मक वजहों से माइग्रेन की दिक्कत होती है। इसीलिए जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं उनके माइग्रेन से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। कई बार तो केवल इन्हीं कारणों से माइग्रेन हो जाता है। इसके अलावा हैंगओवर, किसी तरह का संक्रमण और शरीर में विषैले तत्वों का जमाव भी इसकी वजह हो सकता है।

एलर्जी के कारण भी माइग्रेन हो सकता है और अलग-अलग लोगों में एलर्जी के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों के लिए खाने-पीने की चीजें भी एलर्जी का कारण बन जाती हैं। कुछ लोगों को दूध और उससे बनी चीजें खाने से एलर्जी होती है तो कुछ के लिए साग-सब्जी एलर्जी का कारण हो सकती है। किसी को धूल से एलर्जी होती है तो किसी को धुएं से। इसलिए अगर आपको पता हो कि आपको किन चीजों से एलर्जी है तो उनसे बच कर रहें।

                     कैसे बचें माइग्रेन से...

अब आपको बताते हैं कि आखिर आप कैसे बचें माइग्रेन से। वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। फिर भी थोड़ी सी सावधानी रखकर आप इस बीमारी को खुद से दूर रख सकते हैं।

ऐसा नहीं कि माइग्रेन लाइलाज बीमारी है। अगर आप माइग्रेन से परेशान हैं और आपको कुछ सूझ नहीं रहा है तो ध्यान रखें। थोड़ी सी सावधानी आपको माइग्रेन से मुक्ति दिला सकती है। इसके लिए सबसे जरूरी है खुद के लाइफ स्टाइल को बदलना। खानपान में बदलाव लाना।

                 माइग्रेन में क्या न खाएं

अगर आपको माइग्रेन है तो आप डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का सेवन एकदम न करें। इससे आपका माइग्रेन और खतरनाक होता जाएगा। चूंकि जंक फूड में मैदे की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसे कम से कम खाएं। चूंकि इनमें ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।

ऐसे में सवाल ये है कि माइग्रेन में क्या खाएं।

                    माइग्रेन में क्या खाएं

अगर आपको माइग्रेन है तो नाश्ते में ताजा और सूखे फलों का खूब सेवन करें। लंच में उन चीजों का इस्तेमाल करें जिनमें प्रोटीन भरपूर हो। मसलन दूध, दही, पनीर, दालें, मांस और मछली आदि। डिनर में चोकरयुक्त रोटी, चावल या आलू जैसी स्टार्च वाली चीजों के साथ सलाद भी लें। ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजों से परहेज करें।

                 माइग्रेन से छुटकारा

माइग्रेन की अचूक दवा है योग और ध्यान। अगर योग नहीं कर सकते हैं तो व्यायाम करें। इससे आपका तनाव कम होगा। और तनाव कम होने से आपका डिप्रेशन दूर होगा। लेकिन ध्यान रहे आप जिस जगह पर योग कर रहे हैं वो प्रकाश से चकाचौंध वाली, तेज धूप, तेज गंध वाली नहीं होना चाहिए। साथ ही साथ माइग्रेन वाले रोगियों को अच्छी नींद लेना चाहिए।

इसके अलावा आप जब भी ऐसा कोई दर्द महसूस करें तो अपने मन से कोई भी दर्दनिवारक गोली न लें। बल्कि किसी अच्छे न्यूरोलाजिस्ट को इस बारे में बताएँ और उनके बताए निर्देशों के अनुसार ही चलें।

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