Information about vitamin C

          विटामिन `सी´ की कमी से होने वाले रोग


■ शरीर में दूषित कीटाणुओं की वृद्धि।
■ आंखों में मोतियाबिन्द हो जाना।
■ खाया-पिया हुआ भोजन शरीर में न लगना।
■ घाव में पीप पड़ना।
■ हडि्डयां कमजोर पड़ जाना।
■ चिडचिड़ा स्वभाव हो जाना।
■ खून का बहना।
■ मसूड़ों से खून व पीप बहना।
■ लकवा हो जाना।
■ रक्तविकार।
■ मुंह से बदबू आना।
■ शरीर कमजोर होना।
■ पाचन क्रिया में दोष उत्पन्न होना।
■ श्वेतप्रदर और सन्धिशोथ।
■ पुट्ठों की कमजोरी।
■ भूख न लगना।
■ सांस कठिनाई से आना।
■ चर्म रोग।
■ अल्सर का फोडा।
■ चेहरे पर दाग पड़ जाना।
■ फेफड़े कमजोर पड़ जाना तथा नजला जुकाम होना।
■ आंख, कान और नाक के रोग।
■ एलर्जी होना।


विटामिन `सी´ के स्रोत वाले खाद्य पदार्थों की तालिका-

●आंवला।
●नारंगी
●अमरूद
●सेब
●केला
●बेर
●बेल पत्थर
●कटहल
●शलगम
●पुदीना
●मूली के पत्ते
●मुनक्का
●दूध
●नींबू
●टमाटर
●चुकन्दर
●चोलाई का साग
●पत्ता गोभी
●हरा धनिया
●पालक

        विटामिन `सी´ की महत्वपूर्ण बातें

विदेशों में न्यूमोनिया तथा लाल ज्वर जैसे खतरनाक संक्रमण युक्त रोगों में विटामिन `सी´ रोगी को देना अति आवश्यक समझा जाता है।
कनपेड़े अर्थात् मम्पस रोगों में रोगी को विटामिन सी पानी में घोलकर पिलाते रहने से सूजन, वेदना तथा ज्वर धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं।
■ काली खांसी में विटामिन `सी´ लाभ प्रदान करता है।
■जोड़ों में सूजन होने के दर्द में विटामिन `सी´ लाभप्रद हो जाता है।
■मोतियाबिन्द के रोगी को विटामिन `सी´ देने से मोतियाबिन्द रुक जाता है।
■गर्भावस्था में विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से सूजन समाप्त हो जाती है।
■विटामिन `सी´ की कमी से रोगी स्कर्वी रोग का शिकार हो जाता है।
■विटामिन `सी´ गंधहीन तथा रंगहीन होता है।
■विटामिन `सी´ रक्त में लाल कणों को बनाने में अति महत्वपूर्ण कार्य करता है।
■शरीर में विटामिन `सी´ की कमी हो जाने से कोशिकाओं तथा रक्त कोशिकाओं की दीवारें फटने लगती हैं और रोगी कई रोगों के संक्रमण का शिकार हो जाता है।
■गर्भपात को रोकने के लिए विटामिन `सी´ का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
■शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव को रोकने में विटामिन `सी´ सहायता प्रदान करता है।
■विटामिन `सी´ की कमी से आमाशय में घाव हो जाते हैं।
■क्षय (टी.बी.) रोग में विटामिन `सी´ का प्रयोग बहुत लाभ करता है।
■ टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए ऑप्रेशन के बाद विटामिन `सी´ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।
■ फेफड़े का रक्तस्राव विटामिन `सी´ के प्रयोग से रुक जाता है।
■ विटामिन `सी´ की कमी से पायरिया रोग होता है। जो विटामिन `सी´ का प्रयोग करने पर ठीक हो जाता है।
■ यदि थोड़ा काम करते ही रोगी थक जाता है तो यह शरीर में विटामिन `सी´ की कमी का कारण है।
■ सांस के रोग का होना ही साबित करता है कि रोगी के शरीर में लंबे समय से विटामिन `सी´ की कमी होती चली आ रही है।
■विटामिन `सी´ की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है।
■विटामिन `सी´ के प्रयोग से शरीर की रक्तवाहिनियां लचीली हो जाती हैं और उनकी कठोरता समाप्त हो जाती है।
■ विटामिन `सी´ बूढ़ों में भी चुस्ती-फुर्ती और शक्ति का संचार करने में मददगार होती है।
■ विटामिन `सी´ के प्रयोग से हर प्रकार की एलर्जी में लाभ होता है।
■ चलते-चलते थक जाना, दर्द होना, ऐंठन होना शरीर में विटामिन `सी´ की कमी को दर्शाता है।
■ विटामिन `सी´ को पानी में घोलकर पीने से सांप के विष का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
■ विटामिन `सी´ की कमी से घाव भरने में देरी लगती है।
■ विटामिन `सी´ के प्रयोग से नासूर जैसे खतरनाक घाव भी ठीक होने लगते हैं।
■ आग में जल जाने के बाद तुरन्त ही विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से जलन एवं वेदना में धीरे-धीरे आराम होने लगता है।
■ विटामिन `सी´ की टिकिया कारबंकल जैसे भयंकर घावों पर पीसकर भर देने से घाव जल्दी ही ठीक होने लगते हैं।
■ विटामिन `ए´ की भांति विटामिन `सी´ का भी नेत्र रोग के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
■ विटामिन `सी´ को ही एस्कोर्बिक एसिड कहा जाता है और यह जल में घुलनशील होता है।
■ विटामिन `सी´ को टूटे-फूटे अंगों को जोड़ने के लिए सीमेंट जैसी संज्ञा दी जा सकती है।
■ विटामिन `सी´ की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है।
■ विटामिन `सी´ खून में लाल कणों की वृद्धि करने में सहायक होता है।
■ अर्टिकेरिया, फीवर, त्वचा के दानों में रोगी को विटामिन `सी´ देने से लाभ होता है।
■ विषैले जन्तुओं के काट लेने पर विटामिन `सी´ से तुरन्त राहत मिलती है तथा जलन और दर्द दूर हो जाते हैं।
■ ज्वर (बुखार) हो तो विटामिन `सी´ का इंजेक्शन देते ही ज्वर उतर जाता है।
■ प्रोस्टेट ग्लैण्ड का संक्रमण विटामिन `सी´ से शान्त हो जाता है।
■ आंख, नाक, कान और गले के रोगों एवं विकारों के लिए विटामिन सी का प्रयोग अतिशय गुणकारी प्रभाव रखता है।
■ विटामिन `सी´ की कमी से हडि्डयों के जोड़ों में से रक्तस्राव होने लगता है। कभी-कभी हडि्डयों के यह अन्तिम छोर अलग ही हो जाते हैं।
■ स्वस्थ शरीर के लिए 25 से 30 मिलीग्राम विटामिन `सी´ पर्याप्त होता है।
■ बच्चों के शरीर में विटामिन `सी´ की पूर्ति करनी हो तो नारंगी, आंवला, मौसमी का रस पिलाना ही पर्याप्त है। आंवला विटामिन `सी´ के लिए सबसे उत्तम होता है। सूखे और ताजे दोनों आंवलों में यह विटामिन समान रूप से विद्यमान रहता है।
■ संधिवात, संधिशोथ तथा आमवात यानी जोड़ों के दर्द में विटामिन `सी´ गुणकारी उत्तम प्रभाव पैदा करता है।
■ यदि शरीर में विटामिन `सी´ की अत्यधिक कमी हो तो शीघ्र लाभ के लिए इंजेक्शन का प्रयोग करना ज्यादा हितकर होता है।
■ एक वर्ष से डेढ़ वर्ष तक के बच्चों को यह विटामिन प्रतिदिन 50 मिलीग्राम तक की मात्रा में देना आवश्यक होता है।
■ विटामिन `सी´ की कमी से त्वचा लटक जाती है तथा चेहरे एवं शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
■पक्षाघात तथा पोलियों जैसे रोग शरीर में विटामिन `सी´ की कमी से होते हैं जिन्हें विटामिन `सी´ का प्रयोग करके ठीक किया जा सकता है।
■ चेहरे के खतरनाक दाग-धब्बे विटामिन `सी´ के प्रयोग से ठीक हो जाते हैं।
■ कंजेस्टिट हार्ट फेल्यूर रोग में विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से अधिक पेशाब आकर शरीर की सूजन तथा हृदय की तकलीफ सहित अन्य कई विकार नष्ट हो जाते हैं।

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