* सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बनाकर इस चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटना चाहिए।
* शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप करें और लार को बाहर टपकने दें।
* छोटी हरड़ को महीन पीसकर इसे दिन में दो तीन बार अवश्य ही लगायें।
* तुलसी की चार-पाँच पत्तियां नित्य सुबह और शाम चबाकर ऊपर से दो घूँट पानी पीयें।
*सुबह शाम अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।
* पान लगाने वाले कत्थे को लगायें।अमरूद के कोमल ताजे पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने चाहिए।
* कत्था, मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर तीन चार दिन तक दिन में 2-3 बार लगाना चाहिए।
* दिन में 3-4 बार शुद्ध घी या मक्खन लगाना चाहिए ।मिश्री को बारीक पीसकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर लगायें।
* नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करें| अमृतधारा में शहद मिलाकर उसे दिन में 3-4 बार रुई से लगाना चाहिए ।
* दो ग्राम भुना हुआ सुहागा का बारीक चूर्ण पन्द्रह ग्राम ग्लींसरीन में मिलाकर दिन में दो तीन बार लगायें।
* पानी में नारियल का तेल मिलाकर उसके गरारे करें ।
मट्ठा पीयें।
* नीम के टूथपेस्ट या मंजन करें । मिर्च मसाले, आचार, तम्बाकू,दही या खट्टे पदार्थों का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।
* शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप करें और लार को बाहर टपकने दें।
* छोटी हरड़ को महीन पीसकर इसे दिन में दो तीन बार अवश्य ही लगायें।
* तुलसी की चार-पाँच पत्तियां नित्य सुबह और शाम चबाकर ऊपर से दो घूँट पानी पीयें।
*सुबह शाम अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।
* पान लगाने वाले कत्थे को लगायें।अमरूद के कोमल ताजे पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने चाहिए।
* कत्था, मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर तीन चार दिन तक दिन में 2-3 बार लगाना चाहिए।
* दिन में 3-4 बार शुद्ध घी या मक्खन लगाना चाहिए ।मिश्री को बारीक पीसकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर लगायें।
* नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करें| अमृतधारा में शहद मिलाकर उसे दिन में 3-4 बार रुई से लगाना चाहिए ।
* दो ग्राम भुना हुआ सुहागा का बारीक चूर्ण पन्द्रह ग्राम ग्लींसरीन में मिलाकर दिन में दो तीन बार लगायें।
* पानी में नारियल का तेल मिलाकर उसके गरारे करें ।
मट्ठा पीयें।
* नीम के टूथपेस्ट या मंजन करें । मिर्च मसाले, आचार, तम्बाकू,दही या खट्टे पदार्थों का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।
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